क्या श्रीमद्भगवद्गीता में इंसान की हर समस्या का हल है ?

श्रीमद्भगवद्गीता को धरती पर स्थित ज्यादातर इंसान गलत समझते आए हैं –   1.. कुछ सोचते और कहते हैं श्रीमद्भगवद्गीता को समझने वाला साधक मोक्ष पाने का अधिकारी बन जाता है | क्या यह सच है ?   2.. कुछ कहते हैं श्रीमद्भगवद्गीता management करना सिखाती है – क्या यह भी सच है ?   3.. समाज का एक धड़ […]


मैं क्या करूँ जिससे भगवान कृष्ण की कृपा मुझ पर हो ?

जब मैं लगभग 6 1/2 वर्ष का था और पूछने के बावजूद कोई उत्तर नहीं मिल रहा था न घर से न बाहर से – तो एक दिन इतवार की सुबह अपने प्रश्नों के उत्तर जानने के लिए गांव के पास बसे खेतों की ओर निकल गया | यह सोचकर कि मुरली बजाता कृष्ण घास चरती गायों के बीच मिल […]


गीता अनुसार क्या सिर्फ और सिर्फ भगवान् कृष्ण का ध्यान और ॐ का जाप करना चाहिए ?

सिर्फ भगवद गीता ही नहीं सभी श्रुति शास्त्र जैसे चारों वेद और 11 principal उपनिषद एक ही बात को महत्व देते हैं – वह है ताप, तपस – तपस्या के द्वारा अंदर व्याप्त क्लेश को निवृत करने की क्षमता | जाप, माला फेरना, पूजा पाठ, भजन कीर्तन इत्यादि का अध्यात्म में कोई महत्व नहीं | श्रीकृष्ण और भगवद गीता – […]


अध्यात्म और जीवन का क्या संबंध है ?

मनुष्य जीवन में कभी ख्याल आए प्रभु को जानने का, स्वयं को जानने का कि वाकई क्या हम एक आत्मा हैं या और कोई गहरा प्रश्न जैसे जीवन चक्र से मुक्ति कैसे मिलेगी – तो हमे अध्यात्म में उतरना पड़ेगा |   अध्यात्म में उतरे बिना तत्वज्ञानी नहीं बन सकते – तो जीवन के आखिरी छोर 84 लाखवी योनि तक […]


आत्मा परमात्मा से अलग क्यों हुई ?

परमात्मा (ब्रह्म) से आत्माओं को कोई अलग करता नहीं है, बस हो जाती हैं | कैसे ?   ब्रह्माण्ड में व्याप्त सभी आत्माएं अगर अपने original शुद्ध रूप में आ जाएं तो वे अस्थ अंगुष्ठ (आधे अंगूठे) का आकार लेंगी | इसी समायोजित आत्माओं की गठरी को ब्रह्म कहते हैं | इस शक्ति की जिसे हम ब्रह्म कहते हैं कल्पना […]


मैं उपनिषदों को पढ़ना चाहता हूँ – क्या इन्हें पढ़ने का कोई खास तरीका है ?

वेद, उपनिषद और भगवद गीता के श्लोक पढ़ने के लिए नहीं, चिंतन और मनन के लिए होते हैं | हर श्लोक गागर की तरह होता है जिसमें ज्ञान का सागर समाया हुआ है (गागर में सागर) | आज के समय में जो थोड़े बहुत गुरुकुल चल भी रहे हैं वे सर्वथा ज्ञान से रिक्त हैं | रटने के अलावा उन्हें […]


भक्त और भगवान का मिलन कब और कहाँ होगा ?

भक्त और ब्रह्म का मिलन सिर्फ और सिर्फ साक्षात्कार के समय होता है जब ब्रह्म काफी समय के लिए हमारे पास आकर बैठते है | काफी समय इसलिए क्योंकि ब्रह्म पहली योनि से 84 लाखवी योनि के दर्शन करातें है | साक्षात्कार के समय ब्रह्म मेरे साथ पूरे 2 1/2 घंटे रहे |   भक्त शब्द सही नहीं है क्योंकि […]


शास्त्रों में नेति नेति क्या है – क्या इसका अर्थ बता सकते हैं ?

नेति नेति शब्दावली का प्रयोग अध्यात्म में अगर किसी ने सही ढंग से किया है तो वह हैं महर्षि रमण | बचपन में पढ़ने और अत्यंत चिंतन मनन के बाद मुझे अन्दर से यह अहसास हुआ कि नेति नेति, self enquiry के प्रतिपादन में महर्षि रमण न तो गलत थे और जिस रास्ते पर चलकर उन्हें आत्मज्ञान प्राप्त हुआ वह […]


कलयुग में भगवान को प्राप्त करने का सरलतम – श्रेष्ठतम मार्ग क्या है ?

कलियुग में भगवान को पाने का shortcut – बस इसी बात की कमी रह गई थी | भगवान अदृश्य है तो चलों भगवान को भी cheat कर लेते हैं ! कैसे ?   मन्नत 51/= की मांगी थी लेकिन चढ़ावा चढ़ाया 5/= का | कोई देख नहीं रहा तो हुंडी में डालने की बजाय पैसे उठा लिए | मंदिर इसलिए […]


आत्मा और प्राण में क्या अंतर है – क्या दोनों एक ही है ?

धरती पर जितने भी प्राणी (जीव) बसतें हैं, हर कोटि के – सभी की आत्माओं का वास सूर्य के गर्भ में है | यह बात भलीभांति उपनिषदों में प्रतिपादित है |   आत्माएं सूर्य के गर्भ में और उनके द्वारा धारित शरीर धरती पर – तो जीवन कैसे चलेगा ? सूरज से धरती पर जो सूर्य किरणें आती हैं वे […]


क्या कुंडलिनी जागृति होने से सिर में दर्द होता है ?

कुण्डलिनी जागरण अध्यात्म में एक स्वाभाविक क्रिया है | जब हमारे मूलाधार में ब्रह्मांडीय शक्ति (अमृत) इकट्ठा होने लगता है तो कुण्डलिनी सर्प सक्रिय होने लगता है | इसका नतीजा होगा हमारी मेधा नाड़ी में स्थित चक्र activate होना शुरू हो जाएंगे (खुलने लगेंगे) |   इन सब क्रियाओं के पीछे वजह क्या है ? क्यों होता है ऐसा ? […]


क्या प्रकाश की गति से ज्यादा गति संभव नहीं – क्या यह भौतिक शास्त्र का नियम आत्माओं पर लागू होता है ?

प्रकाश की गति से व्यक्त संसार चलता है – गतिमान है | धरती पर समय को मापने का मापदंड प्रकाश की गति है | Mind waves, mental waves – हमारे विचार हमेशा प्रकाश की गति से ज्यादा तेज गति से चलते हैं – कोई सीमा नहीं |   जब तक आत्मा सूर्य से बंधी है यानि पूर्ण शुद्धता प्राप्त नहीं […]


हम किसके लिए जी रहे हैं ?

आध्यात्मिक दृष्टि से सभी इंसान सिर्फ और सिर्फ अपनी आत्मा के लिए जी रहे हैं | अगर कोई कहे मै तो भाई, बहन, माता पिता गुरु के लिए जी रहा हूं तो 70~80 वर्ष के बाद क्या ? आपका शरीर मर जाएगा – आप अविनाशी आत्मा हैं – नया शरीर धारण कर लेंगे | फिर नए माता पिता, भाई बहन […]


तीर्थयात्रा कर लें चाहे गंगा या महाकुंभ में स्नान – अगर मन का मैल नहीं गया तब क्या ?

मानव जीवन में यह बात सोलह आने सच है कि अंदरूनी मन की सफाई अंदरूनी सफर से ही होगी यानि हमें अध्यात्म में सकारात्मक सोच के साथ उतरना होगा | बैठ कर शांत भाव से सोच कर देखें – सफाई आत्मा की होनी है जो क्लेशों से घिरी हुई है न कि बाहरी शरीर की |   गंगाजी में नहाने […]


ईश्वर ने आपको सबसे अनमोल तोहफा क्या दिया है ?

विवेक करने की शक्ति – वह अनमोल शक्ति है जो हमें पशु बनने, मारने मारने से रोकती है |   जब मैंने आध्यात्मिक यात्रा शुरू की – 5 वर्ष की आयु में तो भारतीय सनातन शास्त्रों को देखकर ही मन घबराता था | दादाजी संन्यास ले चुके थे से और घर में ही सन्यासी की तरह रहते थे | उनका […]


इंसान का अंतिम लक्ष्य क्या है ?

हर इंसान का अंतिम जीवन लक्ष्य है मोक्ष प्राप्ति | मोक्ष की स्थिति तक पहुंचना मनुष्य का जीवन लक्ष्य नहीं अपितु उस आत्मा का है जिसने यह मनुष्य शरीर धारण किया है | परमात्मा और आत्मा (के होने) में आस्था भारतीयों की एक बहुत बड़ी विशेषता है | यह बात विशेषकर वहीं समझ सकता है जिसे भारतीय संस्कृति से प्रेम […]


अध्यात्म को जीवन का आधार क्यों कहा जाता है ?

सनातन श्रुति जैसे वेद, उपनिषद् और भगवद गीता क्या प्रतिपादित करते हैं – कि हम एक आत्मा हैं जो शुद्धि के लिए ब्रह्मांडीय सफर पर निकली है | स्वयं खुद की शुद्धि कर नहीं सकती तो धरती पर शरीर धारण करती रहती है जब तक मुक्ति के द्वार तक न पहुंच जाए – मुक्ति जन्म और मृत्यु के चक्र से […]


एकान्त में साधना करते संन्यासियों के लिए आन्तरिक ऊर्जा प्राप्त करना आसान है – क्या गृहस्थी ऐसा कर पाएंगे ?

अध्यात्म में उतरने के लिए दो बातें जरूरी हैं –   1.. अखंड ब्रह्मचर्य का पालन 12 वर्ष के लिए अखंड ब्रह्मचर्य से तात्पर्य है कि वीर्य की एक भी बूंद का स्त्राव वर्जित है | हमें महर्षि विश्वामित्र नहीं बनना है | 95% ब्रह्मचर्य मानसिक होता है – 12 वर्षों तक हमारे विचारों में नकारात्मक विचार न आएं | […]


क्या मैं गृहस्थ में रहकर पूर्ण आध्यात्मिक बन सकता हूँ ?

गृहस्थ जीवन में हम अध्यात्म में उतर तो सकते हैं बशर्ते वह गलती न दोहराएं जो सिध्दार्थ गौतम ने की थी | सिद्धार्थ गौतम लगभग 29 वर्ष की आयु में अपनी पत्नी और बच्चे के पैर छू रात के समय घर से हमेशा के लिए निकल गए – उन प्रश्नों के उत्तर की खोज में जिनका उत्तर उन्हें राजमहल में […]


जीवन क्यों है – हम इस जीवन में क्या तलाश रहे हैं ?

जीवन क्यों हैं – इस बात का उत्तर सिर्फ और सिर्फ ब्रह्म के पास है कि उसने ब्रह्माण्ड क्यों बनाया | हम मनुष्य तो बस इस धरती रूपी भूल भुलैया, मायानगरी में आ जाते हैं – क्यों, हमें खुद पता नहीं | लेकिन भारतीय अगर सनातन श्रुतियों का अवलोकन करें तो पाएंगे कि मनुष्य जीवन बेहद अमूल्य है | मनुष्य […]


क्या गुरु के बिना अध्यात्मिक मार्ग पर चल सकते हैं ?

अध्यात्म यानि अंतर्मुखी हो आंतरिक यात्रा में खो जाना – जो करना है साधक ने करना है | हमारे क्लेश कोई गुरु नहीं मिटा सकता – कर्मों की निर्जरा हमें खुद ही करनी होगी | अध्यात्म के रास्ते पर गुरु की आवश्यकता महसूस होती है जब हमें अपने प्रश्नों के उत्तर नहीं मिल पा रहे | लेकिन फिर गुरु तत्वज्ञानी […]


मेहनत तो सभी करते हैं पर सभी सफल क्यों नहीं होते ?

हमारी सोच सकारात्मक है, मेहनत करने से हम पीछे हटते नहीं (हम किसी से कम नहीं) फिर भी असफलता ही हाथ लगती है – कारण मूलतः एक ही है – पिछले जन्मों का एकत्रित नेगेटिव प्रारब्ध कर्मफल |   मान लीजिए हम karmic index के क्रमांक 12 पर स्थित हैं | इस जन्म में हमने बहुत मेहनत कर karmic scale […]


क्या कुंभ स्नान से व्यक्ति को मोक्ष प्राप्ति होती है जो बाकी दिनों स्नान से नहीं मिलेगा ?

अगर कुंभ में स्नान से मोक्ष मिलता तो महावीर और बुद्ध को 12 वर्ष की तपस्या (महावीर की टीले पर और बुद्ध की बोधि वृक्ष के नीचे) की क्या जरूरत थी ? पहले समय में ऋषि मुनि हिमालय की कंदराओं में तपस्या करने क्यों जाते थे ?   जिंदगी भर पाप आचरण में डूबे रहें और अंत समय में कुंभ […]


मनुष्य को नष्ट करने वाले शत्रु कौन हैं ?

मनुष्यों का जन्मजात शत्रु हमेशा एक ही होता है – हमारी जन्म से ही नकारात्मक सोच ! यह नकारात्मक सोच ही तो है जो एक इंसान को राजा और दूसरे को रंक बनाती है | हम शुरू से ही खुद के शत्रु हैं | थोड़ी सी भी सकारात्मक सोच अगर हम अपने व्यवहार में ले आएं तो सतयुग न आ […]


क्या सभी आत्माएं एक जैसी हैं या मानव आत्माएं दूसरों से अलग हैं ?

शुरुआत में सभी आत्माएं एक श्रेणी में आती हैं – वह क्षण जब ब्रह्माण्ड उत्पन्न हो रहा है | अपने ब्रह्मांडीय सफर में आत्माएं अशुद्धियां आत्मसात कर लेती हैं | उसी तरह से – अगर हम एक शहद के गोले को आकाश में कई मीलों तक फेंकें तो उसका size काफी बढ़ जाएगा – अशुद्धियां चिपटती, लिपटती चली जाएंगी | […]


क्या आत्मज्ञान धीरे धीरे होने वाली प्रक्रिया है या किसी विशेष बिंदु पर बड़ा बदलाव हो जाता है ?

ब्रह्म ने आत्मज्ञान प्राप्त करने के लिए मनुष्यों के लिए 11 लाख योनियों का सफर निमित्त किया है | अब यह हम पर निर्भर है हम किस योनि में आत्मज्ञान प्राप्त कर लें |   ज्यादातर मनुष्य इस भ्रम में रहते हैं कि इस योनि में नहीं तो अगली में कर लेंगे | कौनसी अगली ? इस जन्म में क्षत्रिय […]


क्या हर किसी को आत्मज्ञान प्राप्ति का प्रयास करना चाहिए – यह क्यों जरूरी है ?

जरूरी तो नहीं आत्मज्ञानी बनने का बीज हमे इस जीवन में मिले ! मनुष्य रूप में 11 लाख योनियां होती हैं | किसी भी योनि में हम अध्यात्म की ओर अग्रसर हो सकते हैं बशर्ते हमारे कर्म ऐसे हों | अगर मनुष्य आत्मज्ञानी बनना चाहता है – तो इसका सीधा मतलब है पहले स्वामी विवेकानंद की स्थिति तक पहुंचना और […]


क्या सभी मनुष्यों का पुनर्जन्म होता है ?

धरती पर हर मनुष्य 11 लाख योनियों के फेर से बंधा है | इन 11 लाख योनियों में हम किस योनि में स्थित है, हमें खुद नहीं मालूम ! यह मानव शरीर हमारी आत्मा ने धारण किया है – जब तक हर मनुष्य 84 लाखवी योनि में पहुंच रामकृष्ण परमहंस या महर्षि रमण, एक तत्वज्ञानी नहीं हो जाता – आत्मा […]


क्या श्रीमद्भगवद्गीता आज के समय के प्रश्नों के उत्तर देने में समर्थ हैं ?

ब्रह्म ने संसार रचा – वेद आए, फिर उपनिषद और अंत में श्रीमद्भगवद्गीता | तीनों श्रुति ग्रंथों का मूल उद्देश्य एक ही है – मनुष्य को मोक्ष, मुक्ति के द्वार तक पहुंचाना | जब तक सूर्य से बंधी हर आत्मा 84 लाखवी योनि में नहीं पहुंच जाती – भगवद गीता ज्ञान हर मनुष्य को उपलब्ध रहेगा |   भगवद गीता […]


इंसान के जीवन में श्रीमद्भगवद्गीता का क्या महत्व है ?

ब्रह्म ने आत्माओं से आच्छादित संसार रचाया | जब ब्रह्माण्ड में धरती मां जैसे ग्रह उत्पन्न हुए जो जीवन ग्रहण करने के लिए समर्थ थे – तो आत्माओं ने शरीर धारण करना शुरू किया | 84 लाख योनियों के सफर में 73 लाख निम्न योनियों का जीवन (जैसे अमीबा, कीट पतंगे, पेड़ पौधे व पशु पक्षी) काटने के बाद आत्मा […]