अंगुलिमाल एक पेशेवर हत्यारा, जिसको भी मारता, एक अंगुली काट गले में माला में डाल लेता | बुद्ध के दर्शन क्या हुए, कुछ प्रश्नोत्तर और सब छोड़ बुद्ध का शिष्य बन गया | बुद्ध ने सिर्फ इतना कहा था थम्म | अंगुलिमाल ने सोचा मुझे थम्म कहने वाला कौन आ गया, आज तक तो मैंने ही लोगों को रोक कर लूटा है |
बुद्ध ने समझाते हुए कहा, मुझे तुम्हारे काम से कोई आपत्ति नहीं, बस एक बार घर जाकर अपने बीबी बच्चों से यह पूछ आओ कि वे तुम्हारे द्वारा किए गए पापों में भागीदार हैं या नहीं | उसके बाद तुम मुझे मारकर अंगुली काटो, यह तुम्हारा निर्णय होगा |
अंगुलिमाल भागा भागा घर आया और पत्नी से बोला, तुम लोग जानते हो घर खर्च का पैसा कहां से आता है | फिर उसने अपने क्रियाकलापों का वृतांत पत्नी और बच्चों को कह सुनाया और साथ में कहा मेरे द्वारा किए जा रहे पाप में तुम बराबर के भागीदार हो |
इतना सुनना था, पत्नी बोली घर के खर्चे उठाने की जिम्मेदारी तुम्हारी है | हमें नहीं मालूम था तुम इतना नीच और घृणित कार्य करके हमारा पेट भरते हो | लानत है तुम पर, निकल जाओ घर से, आज से हमारी जिम्मेदारी तुम्हारी नहीं | अंगुलिमाल के पैरों तले जमीन खिसक गई, भागा भागा बुद्ध के पास पहुंचा और चरणों में गिर, परम शिष्य बन गया |
पाप और पुण्य में क्या अंतर होता है? पाप और पुण्य क्या है? Vijay Kumar Atma Jnani