मनुष्य रूप में आध्यात्मिक सफर में सारी प्रेरणा अंदर से आती है | हृदय में स्थित सारथी (कृष्ण) हर पल हमें अंदर से guide करते रहते हैं | हमारी आत्मा बताती है कि यह शरीर उसने अपनी शुद्धि के लिए लिया है और मनुष्य की जिम्मेदारी बनती है कि वह अपनी आत्मा को assist करे जिससे वह जल्दी से जल्दी अपने शुद्ध रूप को वापस पा सके |
सत्य का दामन पकड़े जब हम इस शाश्वत सत्य को जान लेते हैं तो आध्यात्मिक सफर तेज़ हो जाता है | अब हमे अपने जीवन का लक्ष्य मालूम है, तो क्यों न हम ध्यान और ब्रह्मचर्य की 12 साल की अखंड तपस्या में उतर – जीवन के आखिरी छोर पर पहुंच जाएं यानि 84 लाखवी योनि में |
What was the role of Arjuna in Mahabharata? आज का अर्जुन कौन आध्यात्मिक परिवेश में | Vijay Kumar