ज्ञानीजन कोई राह न मिले तो मुसीबत से खुद ही निबटने की कोशिश करते हैं और असफल हो जाएं तो दुनियां को राम राम | स्वामी विवेकानंद अपने 1893 के US Chicago tour में विश्व धर्म संसद में बहुत उम्मीदें लेकर गए थे लेकिन लौटे खाली हाथ | लौटने के बाद स्वामी विवेकानंद उस झटके को सह न सके और 1902 में शरीर छोड़ गए |
रामकृष्ण परमहंस के आखिरी दिन भी अच्छे नहीं गुजरे | अक्सर लोग उन पर पत्थर फेंका करते थे | मुसीबत में पड़े ज्ञानीजन शीघ्रातिशीघ्र कैवल्य ज्ञान प्राप्त करते ही शरीर त्याग देते हैं और मोक्ष ले लेते हैं |
What was the role of Arjuna in Mahabharata? आज का अर्जुन कौन आध्यात्मिक परिवेश में | Vijay Kumar