कलियुग में इंसान मैं पर आधारित है – ये भी मेरा हो जाए और वह भी | होड़ ही होड़ – जहां देखो वहां होड़, रुकने का नाम ही नहीं ले रही | भौतिकवाद चरम पर है – दुनिया के सारे comforts चाहिए और आध्यात्मिक होने का ढोंग | हर इंसान धार्मिक रूढ़िवादिता, अनुष्ठानों में उलझा हुआ और पूछो तो – मैं आध्यात्मिक |
अध्यात्म में मैं अपनी नहीं, मैं का चोगा उतार फेंकना होता है और संयम से पांचों इन्द्रियों और फिर मन पर कंट्रोल पाना होता है लेकिन यहां तो सभी ऐशो आराम इकठ्ठा कर रखें हैं और कहने के लिए हम आध्यात्मिक ?
एक झटका दिया था प्रभु ने corona virus का कि इंसान सुधर ले, समझ ले लेकिन कितनों को समझ आई | ब्रह्म को कुछ बड़ा करना होगा | अभी हम संधि काल से गुजर रहे हैं – कलियुग का अंत नजदीक है | उसके बाद chattam chatta – एक भयानक विश्व युद्ध 3, जिसे आज का महाभारत कहा जाएगा और दुनिया की आबादी 20% कम |
और कुछ समय पश्चात 2032 के लगभग शुरुआत होगी सतयुग की | भौतिकवाद का भूत उतर चुका होगा | क्यों ? हर गली मोहल्ले में लगे होंगे लाशों के ढेर – उठाने वाला कोई नहीं | उठाएगा कौन – सभी मौत के तांडव नृत्य से अभिशप्त, घबराए हुए हैं | Municipality के कर्मचारी तो ज्यादा व्यथित हैं – इतनी लाशें ?
इसी मातम के बीच उदय होगा कल्कि अवतार का जो अपने अनोखे और अद्भुत व्याख्यानों से भगवद गीता और उपनिषदों का संदेश पूरी दुनिया को प्रेषित करेगा – तब लोगों के दिलों को ठंडक पहुंचेगी और मिलेगा एक नया उत्साह, जज्बा फिर से उठ खड़े होने का और जीवन को नई राह पर ले जाने का | और वह नई राह होगी अध्यात्म की – तभी तो आने वाला युग सतयुग, स्वर्ण काल कहलाएगा |
120 ~ 140 करोड़ मौतों के बीच इंसान की कमर टूट चुकी होगी, बहुत हो गया, अब विलासिता की जिंदगी हमेशा के लिए त्यागनी होगी अन्यथा फिर अनिष्ट होने की आशंका | पूरी दुनिया में त्राहिमाम, भारत से ज्यादा कल्कि के संदेशों की जरूरत होगी पाश्चात्य जगत को | उनका 200 वर्षों से स्थापित झूठ का पुलिंदा जो जग जाहिर हो गया |
1900 के लगभग 1 भारतीय रुपया 7~13 US $ के बराबर था | Manipulation पहले ब्रिटिश और फिर ब्रिटिश और अमेरिका द्वारा | कंगले भारत को सीखाने चले थे | 2034 से भारत फिर सोने की चिड़िया और सिर्फ और सिर्फ अध्यात्म – क्यों ? हमारी आत्मा तो शुरू से चाहती है मनुष्य अध्यात्म की राह पकड़ मोक्ष ले ले | वो तो हम ही अपनी मैं और भौतिकवाद में फंसे रहे |
2034 के पश्चात पूरा पाश्चात्य जगत घुटनों पर – भीख मांग रहा होगा भारत से अध्यात्म सीखने की खातिर | बस कल्कि का इंतेज़ार तो कीजिए | (अध्यात्म वो नहीं जो आज पढ़ाया जा रहा है बल्कि वो जो कल्कि अवतार सिखाएंगे/ बताएंगे – एक नए आयाम में) |
2024 से 2032 तक का समय आध्यात्मिक दृष्टिकोण से | Vijay Kumar Atma Jnani