आत्मा वह चेतन तत्व है जो अजर अमर है, सृष्टि के खत्म होने पर भी रहता है | अपने ब्रह्मांडीय सफर में आत्मा जब शरीर धारण करती है तो पंच महाभूतों से बने शरीर में प्राण फूंकती है | कैसे ? आत्मा तो सूर्य के गर्भ में विद्यमान है | धरती पर मां के शरीर में जब शिशु आता है तो शुरू में ही उसका दिल नहीं धड़कता | कुछ समय पश्चात अचानक दिल चालू हो जाता है |
आत्मा जो सूर्य के गर्भ में स्थित है वह remote control ON कर निर्धारित समय पर हृदय चालू कर देती है | और जब मनुष्य का धरती पर time पूरा हो जाता है तो स्विच OFF भी कर देती है | मनुष्य एक जीव है | हर जीव में प्राण फूंकने का काम आत्मा का ही है | हम कितने दिन जीवित रहेंगे यह हमारे कर्म तय करते हैं |
Difference between Atman and Brahman | आत्मा परमात्मा में भेद | Vijay Kumar Atma Jnani