इस जन्म में हम पिछले जन्म में मृत्यु के समय के कार्मिक शेष के आधार पर पुरुष पैदा हुए | हो सकता है अगला शरीर जो हमारी आत्मा ले वह स्त्री का हो | इस जन्म में ब्राह्मण कुल में जन्म लिया, अगले में क्षत्रिय पैदा हों | इसी प्रकार जो आत्मा कुत्ते का शरीर धारण कर रही है, हो सकता है अगले जन्म में शेर का रूप धारण करे | यह भी हो सकता है इस जन्म में शरीर शेर का और अगले जन्म में कुत्ते का | आत्मा कहां और कौन सा शरीर धारण करेगी, यह निर्भर करता है मृत्यु के समय के karmic balance पर |
अगर हमारे, या कुत्ते की मृत्यु के समय का karmic balance पुण्य है तो अगला जन्म उच्च परिवार में मिलेगा | अगर हमने हिटलर जैसे कृत्य किए हैं तो अगला जन्म मनुष्य योनि में कैसे हो सकता है (१० लाख से ज्यादा यहूदियों की हत्या का पाप जो सिर पर है) | भारतीय और जैन दर्शन यह बात मानता है कि हम मनुष्य योनि प्राप्त करने के बाद दोबारा पशु या कीट पतंगों की योनि में भी वापस जा सकते हैं | सब कुछ हमारे कर्मों पर निर्भर है | इसलिए भगवद गीता में कृष्ण कहते है हमेशा पुण्य कर्म करो |
सभी जीव और मनुष्य evolution process में शनै शनै आगे बढ़ रहे हैं | suppose पशुओं की योनि का cutoff ४० है तो जो भी पशु ४० पार करेगा (शरीर चाहे कुत्ते का हो या शेर का), वह अगला जन्म मनुष्य रूप होगा | हम सभी मनुष्य, सीधे पशु योनि से मनुष्य योनि में आए हैं | आत्मा को तो बार बार शरीर धारण की प्रक्रिया से छुटकारा चाहिए | इसलिए आत्मा मनुष्य योनि में जोर मारती है कि हम अध्यात्म की राह पकड़ मोक्ष प्राप्त कर लें |
Are there 8.4 million species on Earth? चौरासी लाख योनियों का सच | Vijay Kumar Atma Jnani