क्या आत्माओं की संख्या निर्धारित अथवा सीमित नहीं है जो बढ़ती आबादी के साथ आत्माओं की संख्या बढ़ जाती है ?


800 करोड़ लोग धरती पर रहते हैं यानी 800 करोड़ आत्माएं | मनुष्य योनि पशु पक्षियों की योनि के बाद मिलती है | यानि जितने भी पशु पक्षी इस समय धरती पर मौजूद हैं वह एक दिन मनुष्य योनि में आएंगे | जितने भी पेड़ पौधे धरती पर मौजूद हैं वह एक दिन पशु पक्षियों की योनि और फिर मनुष्य योनि में आएंगे |

 

इतना ही नहीं, जितने भी कीट पतंगे धरती पर मौजूद हैं, पहले पेड़ पौधों की योनि में, फिर पशु पक्षियों की योनि में और फिर मनुष्य योनि में आएंगे | क्या हम जानते हैं समुंद्र के कुछ इलाके छोटे छोटे समुद्री जीवों से इतने गहन हैं कि 10 km * 10km में 800 करोड़ से ज्यादा जीव समा जाएं |

 

इसलिए कहा जाता है पूरे ब्रह्मांड में आत्माएं अनंत हैं (uncountable) | धरती जैसे असंख्य ग्रह जिनपर जीवन संभव है ब्रह्माण्ड में फैले हैं | सभी पर असंख्य आत्माएं | उपनिषदों के अनुसार सभी आत्माएं सूर्य के गर्भ में विद्यमान हैं | हर चमकते तारे के गर्भ में आत्माएं विद्यमान हैं जो उसे रोशनी और ऊर्जा प्रदान करते हैं |

 

यही है ब्रह्म की ताकत और उसका खेल ! प्रलय के माध्यम से हम पूरे ब्रह्मांड का सृजन समझ सकते हैं |

 

What is a Pralaya in Hinduism? हिन्दू धर्म में प्रलय क्या होती है | Vijay Kumar Atma Jnani

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