क्या आत्मा सच में होता है ?


आत्मा होती है इस बात को इस तरह से समझें – जब ब्रह्माण्ड उत्पन्न होता है तो वेद/उपनिषद कहते है कि ब्रह्म स्वयं को big bang से फोड़ते हैं | अब यह ब्रह्म जिन्हें हम भगवान कहते हैं, ये हैं क्या ? ब्रह्माण्ड में मौजूद सभी आत्माएं प्रलय के समय शुद्ध रूप पा जाती हैं | अगर कोई आत्मा कीट पतंगों की योनि में हो, वह भी 84 लाखवी योनि में स्थापित हो जाती है |

 

इन सभी शुद्घ आत्माओं का झुंड सिर्फ और सिर्फ अस्थ अंगुष्ठ (आधे अंगूठे) का आकार लेता है जिसे हम ब्रह्म (भगवान) कहते हैं | बिना आत्माओं के कोई ब्रह्माण्ड नहीं और पाश्चात्य जगत के scientist कहते हैं भगवान/आत्माएं होती ही नहीं | तो पिछड़ा कौन हुआ, भारतीय नहीं, भारतीय scientist विदेशी scientists से हजारों साल आगे हैं |

 

अगर आत्मा नहीं हो, तो जगत किसलिए ? जगत इसलिए कि आत्माओं को 84 लाख योनियों के सफर पर जाना होता है | वेदों का ज्ञान direct ब्रह्म की देन हैं | वेद कहते हैं ब्रह्म और आत्माएं हैं तो जगत की उत्पत्ति हुई और हम उस उत्पत्ति का एक अहम हिस्सा हैं | आत्मा मनुष्य की योनि इसलिए धारण करती है कि उसे जन्म और मृत्यु के चक्रव्यूह से मुक्ति मिल सके |

 

जैसे ही मनुष्य मोक्ष लेता है आत्मा free होकर ब्रह्म में लीन हो जाती है | मोक्ष मतलब महावीर या महर्षि रमण बन जाना |

 

Difference between Atman and Brahman | आत्मा परमात्मा में भेद | Vijay Kumar Atma Jnani

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