आध्यात्मिक जागृति


आध्यात्मिक चेतना कब प्रखर होती है ?

जब कोई साधक सत्य का मार्ग पकड़ लेता है तो हमारी चेतना अंदर से हिलोरे मारना शुरू कर देती है | क्यों ? हमारे अंदर विद्यमान आत्मा को यह लगने लगता है कि अब उसे अपने गंतव्य तक पहुंचने का मौका मिलेगा यानी पूर्ण आंतरिक शुद्धि |   Power of Absolute Truth | अध्यात्म में सत्य का महत्व | Vijay […]


किस घटना ने जीवन का रुख पूरी तरह से मोड़ दिया ?

मैं ६ १/२ वर्ष का था जब मैंने यह तय किया कि भगवान कौन होते हैं यह खोजूंगा | जब मैं ८ वर्ष का था तो ब्रह्म ने पूछा, क्या हुआ, तू तो भगवान के पीछे आना चाहता था, कहां रह गया | कुछ देर के लिए मैं सिंहर गया जैसे कोई चोरी पकड़ी गई | कुछ सोच कर कहा […]


जीवन में आध्यात्म को जानने की रुचि कब बढ़ती है ?

आध्यात्मिक जिज्ञासा की उत्पत्ति के पीछे एक ही कारण है, हमारी सत्य के मार्ग पर शुरुआत | भौतिक जीवन में जब जब हमारे अंदर सत्य के मार्ग पर चलने की प्रवत्ति बढ़ने लगती है तो हमारी अध्यात्म के प्रति जागरूकता बेहद बढ़ जाती है | यह सत्य ही है जो हमें सीधा ब्रह्म की तरफ मोड़ देता है |   […]


आध्यात्मिक गतिविधियों से जुड़ने की सही उम्र क्या है ?

अगर बारीकी से सभी तथ्यों का अवलोकन करें तो हम पाएंगे कि अध्यात्म से साधक इस जन्म के कर्मों से नहीं जुड़ता ? मृत्यु के समय जो पिछले जन्म का karmic balance था, मूलतः वह decide करता है हम इस जन्म में अपना आध्यात्मिक सफर कब शुरू करेंगे, करेंगे भी या नहीं |   सोचिए अगर भिखारी पैदा हुए तो […]


जन्म-मृत्यु का चक्र कौन समाप्त कर सकता है ?

जन्म मृत्यु के चक्रव्यूह से हमेशा के लिए निकलने के लिए, महर्षि रमण के लेवल पर पहुंचने के लिए, मोक्ष लेने के लिए एक इंसान को अध्यात्म में उतरना होगा | अध्यात्म यानी भगवान से योग करने की चेष्टा, ब्रह्मलीन होने का प्रयास |   कोई भी इंसान, छोटा हो या बड़ा, अमीर या गरीब, जीवन के किसी भी phase […]


क्या अध्यात्म हर इंसान के लिए जरूरी है ?

आध्यात्मिक सफर कब शुरू करना चाहिए यह हर मनुष्य को तय करना है | अगर हमारी उम्र 5 वर्ष की है तो भी यह हमें खुद ही तय करना है हम इस मार्ग पर कब चलना चाहते हैं | इसमें माता पिता या अध्यापक का निर्णय काम नहीं करेगा |   जब ब्रह्म ने मनुष्यों को 11 लाख योनियों का […]


आप क्या बताना चाहते हैं कि लोग उसको पढ़कर जागरूक बनें ?

हर भारतीय को यह बात हमेशा ध्यान रखनी चाहिए कि अर्जुन और कोई नहीं वह खुद है | महर्षि वेदव्यास ने महाभारत महाकाव्य की रचना सिर्फ इसलिए की कि हर मनुष्य अध्यात्म में उतर मोक्ष प्राप्त कर सके | अध्यात्म के रास्ते पर कैसे चलें यह भगवद गीता में वर्णित है | लेकिन भगवद गीता पढ़े कौन और पढ़ भी […]


बाहर भटकने से अच्छा भीतर भटकने का अर्थ क्या है ?

बाहर भटकने से क्या मिलेगा – मंदिर या तीर्थ, भजन कीर्तन, सत्संग में जाने से भगवान नहीं मिलते | किसी भी ब्राह्म स्वरूप में भगवान नहीं हैं | ब्रह्म तो अंश स्वरूप (आत्मा के रूप में) अंदर हृदय में विद्यमान हैं | अगर हमें ब्रह्म प्राप्ति करनी है तो अंदर के सफर यानि अध्यात्म में उतरना ही पड़ेगा | अध्यात्म […]