आध्यात्मिक जीवन


आप जिंदगी जी रहे हैं या गुजार रहे हैं ?

सच्चा आध्यात्मिक साधक जिंदगी का एक पल अकारण व्यर्थ नहीं करता – वह हर पल को जीता है | 70~80 वर्ष के जीवन में समय यूं ही गंवाने के लिए है ही कहां ? जीवन का हर पल चिंतन में व्यतीत करना होगा | अगर हम हर समय चिंतन नहीं करेंगे तो अपने अंदर उमड़ते हजारों प्रश्नों के उत्तर कैसे […]


किसी संत ने कहा व्यापार में 10 प्रतिशत लाभ का साथी भगवान को बना लो ?

व्यापार में भगवान ब्रह्म को १० प्रतिशत का साझीदार बनाने के दो फायदे हैं |   १. जब व्यापार में ब्रह्म साझीदार हैं तो हम व्यापार में लेन देन में कभी गड़बड़ नहीं करेंगे |   २. जब १० प्रतिशत हिस्सा ब्रह्म को समर्पित है तो हम हमेशा कोशिश करेंगे कि जो लोग गरीब परिस्थिति में हैं उनकी मदद करें […]


कोई पूरा जीवन ईश्वर को अर्पित कर देता है – कोई पूरा जीवन ईश्वर की खोज में अर्पित कर देता है

भगवान की खोज, स्वयं को ८४ लाखवी योनि में स्थापित कर लेना ही जीवन का लक्ष्य है |   What is the main Purpose of Life? मानव जीवन का मकसद | Vijay Kumar Atma Jnani


जीवन में सबसे महत्वपूर्ण बात क्या है जो हर किसी को जानना आवश्यक है ?

हमें कभी नहीं भूलना चाहिए कि हम इस एक जीवन के मालिक हैं | मृत्यु के बाद हमारी आत्मा क्या शरीर लेगी मालूम नहीं | बेहतरी इसी में है हम इसी जीवन में कुछ आध्यात्मिक भी कर लें | नहीं तो जो इस जीवन में किया सब बर्बाद | अगले जीवन में आत्मा फिर नर्सरी क्लास से जीवन शुरू करेगी […]


जीवन का सत्य क्या है और आप उसके बारे में पक्का जानते हैं ?

आध्यात्मिक सफर में बहुत लोगों से पूछा, बहुत दिनों से कह रहे हो, आध्यात्मिक सफर पर चलूंगा, कब शुरू करोगे ? ज्यादातर सभी का उत्तर था शायद अगले जन्म में संभव होगा | शास्त्र कहते भी हैं ११ लाख मनुष्य योनियां है तो जल्दी क्या है |   हम यह भूल जाते हैं कि शरीर हमारी आत्मा ने धारण किया […]


क्या मनुष्य काम क्रोध लोभ मोह और अहंकार से मुक्त हो सकता है ?

काम क्रोध अहंकार लोभ और मोह पर पूर्ण कंट्रोल पाने के लिए हमें अध्यात्म का रास्ता लेना होगा | आध्यात्मिक साधक लोभ का परित्याग तो जल्दी ही करना सीख लेता है | न लेकर आए थे न लेकर जाएंगे, यह अहसास लोभ से मुक्ति दिलाता है |   काम और क्रोध पर कंट्रोल ब्रह्मचर्य पालन करते हुए होता है | […]


चाहे कितना भी सच से दूर भाग लें – एक दिन सच का सामना करना ही पड़ेगा

ऐसा इसलिए होता है कि असलियत में हम कुछ हैं ही नहीं, मात्र एक साधन आत्मा के लिए, जिसने हमें, इस शरीर को धारण किया है स्वयं को शुद्ध अवस्था में लाने के लिए |   इंसान जब अध्यात्म की राह नहीं पकड़ता और टालता रहता है तो अंततः आत्मा हस्तक्षेप करती है और हमें असलियत से आगाह करवाती है […]


भगवन किस के आगे झुक जाता है ?

भगवान ब्रह्म सिर्फ और सिर्फ उन्हीं साधकों को अपनी day-to-day counseling देने के लिए चुनता है जिन पर उसे भरोसा होता है कि वे अपना आध्यात्मिक सफर पूरा कर रामकृष्ण परमहंस या महर्षि रमण बनने में कामयाब होंगे | ऐसा क्यों ? ऐसा सिर्फ इसलिए होता है क्योंकि ब्रह्म ने आध्यात्मिक सफर पूरा करने की छूट ८०० करोड़ लोगों में […]


जीवन का सार क्या है ?

हम एक आत्मा हैं और प्रभु की बनाई सबसे उच्च योनि पर स्थापित हैं | ब्रह्म हमसे यह चाहते हैं कि हम अपने कर्मों की निर्जरा कर अपने शुद्ध रूप में आ जाएं यानी मनुष्य रूप में मोक्ष पा लें | बस यही जीवन की सबसे बड़ी परेशानी है । हर मनुष्य अध्यात्म की बात तो करता है लेकिन चलता […]


जिंदगी का सबसे कठिन काम क्या है?

अपनी मैं पर कंट्रोल स्थापित करना | आज के समय चाहे आप 2 साल के बच्चे को देख लें (उसके हाथ से TV का रिमोट, या मोबाइल गेम लेने की कोशिश करके देखें) या किसी भी नौजवान अथवा वयस्क को, सभी के साथ समस्या यह है, हम अपनी इच्छाओं पर अंकुश लगाने को तैयार नहीं | मैं ही हमेशा अपनी […]


जिंदगी जीने का सबसे अच्छा तरीका क्या हो सकता है ?

ज़िन्दगी जीने के लिए (पास करने के लिए नहीं) २ बाते जरूरी हैं –   १. हमारा जीवन का लक्ष्य कच्ची उम्र से ही fixed होना चाहिए | ज्यादातर लोगों का यह मानना है कि छोटी उम्र में goal कैसे स्थापित करें | वह तो मां बाप करेंगे और करते भी हैं | छोटे बच्चे को क्या मालूम कि बड़े […]


ईश्वरीय संदेश किस प्रकार मिलते हैं ?

आध्यात्मिक सफर में मेरी ५ वर्ष की आयु से ही ब्रह्म से वार्तालाप चालू हो गई | मेरे साथ कुछ घटा जिसके कारण ५ वर्ष की उम्र में ही मेरी भगवान में पूर्ण श्रद्धा (१००%) हो गई | सच के रास्ते पर मैं चलता ही था कोई झूठ बोले तो बर्दाश्त नहीं, चाहे वो मेरे पिता या दादा ही क्यों […]


क्या जीवन छोटा है सम्पूर्ण वेद और गीता समझने के लिए या व्यक्ति पढ़ कर सहज समझ सकते हैं ?

बात सम्पूर्ण वेदों, उपनिषदों और भगवद गीता में निहित ज्ञान को पढ़ने या समझने की नहीं है, अध्यात्म में हमें कुछ ज्ञान भीतर नहीं लेना होता है, हमें मूलतः ज्ञान के प्रकाश से अंदर के अज्ञान के अन्धकार को काटना होता है | हमारे मस्तिष्क का 97 ~ 99% हिस्सा जन्म से बंद है | ज्ञान के प्रकाश से हमें […]


मानव जन्म लेता है – सशरीर से या आत्मा से ?

मानव अपने आप तो पैदा हो नहीं जाता | सूर्य के गर्भ में बैठी आत्मा को जब धरती पर मैचिंग parents मिल जाते हैं तो शिशु मां के गर्भ में आ जाता है लेकिन उसका दिल धड़कना उस समय शुरू होता है जब आत्मा remote control से हृदयगति चालू कर देती है |   आत्मा अपने 84 लाख योनियों के […]


अध्यात्मिक पथ पर चलने में कठिनाइयां क्यों आती हैं ?

सबसे बड़ा भ्रम जो समाज में फैला हुआ है वह है – अध्यात्म के रास्ते पर चलने वाले बुद्ध की तरह घरबार से दूर हो जाते हैं/ या घर छोड़ हरिद्वार, ऋषिकेश, वाराणसी या उज्जैन, नासिक इत्यादि धार्मिक स्थलों में जा बस्ते हैं | अगर आप गृहस्थ हैं और भरे पूरे परिवार को बीच धार में छोड़ घर से कहीं […]


अध्यात्म मार्ग पर अकेले चलना बेहतर है या साथी के साथ ?

क्या हम अध्यात्म में अपनी इच्छामात्र से जा सकते हैं ? क्या यह संभव है ? क्या हम अपने साथी को आध्यात्मिक सफर के लिए तैयार कर सकते हैं ? बिल्कुल नहीं |   सब कुछ पहले से तय होता है – हमारे पिछले जन्मों का कर्मफल तय करता है हम इस जन्म में आध्यात्मिक होंगे भी या नहीं | […]


आध्यात्मिक व्यक्ति और आम व्यक्ति में क्या अंतर है ?

हम मनुष्य न अपनी मर्ज़ी से आए न मनुष्य अपनी इच्छा से बने | जब पैदा हो ही गए तो एक दिन बुजुर्गों से मालूम पड़ा कि यह मनुष्य शरीर आत्मा ने धारण किया है और जब तक आत्मा शुद्ध नहीं हो जाती वह बार बार मनुष्य शरीर धारण करती रहेगी और मनुष्य रूप में 11 लाख योनियां हैं | […]


आध्यात्मिकता का जीवन जीने के लिए प्रत्येक को प्रयास करना पड़ता है ?

बिना प्रयास करे तो रोटी भी नहीं मिलती – फिर ब्रह्म को पाना, वह भी एक ही जीवन में, जबकि ब्रह्म ने मनुष्यों को 11 लाख योनियों का लंबा चक्र दिया है खुद तक पहुंचने के लिए | कोशिश तो करनी ही होगी – सिर्फ कोशिश नहीं गहन चिंतन में उतरना होगा |   भगवद गीता और उपनिषदों में छिपा […]


पैसा शक्ति छोड़ अध्यात्म के रास्ते पर क्यों जाना चाहिए ?

यह बात दिवंगत राकेश झुनझुनवाला से कोई कहता तो शायद वह सुनते नहीं | शायद पैसे और शौहरत का नशा ही ऐसा होता है | आज bill gates से कोई यह बात कह कर देखे – सुनेगा नहीं |   राकेश झुनझुनवाला जब मृत्यु को प्राप्त हुए तो 48,000 करोड़ की संपत्ति छोड़ कर गए | लेकिन साथ कुछ नहीं […]


ब्रह्मचर्य गृहस्थ संन्यास तथा वानप्रस्थ इन चार आश्रमों में कौन सर्वश्रेष्ठ है ?

मनुष्य शरीर में पैरों, शरीर, हाथों, कान, आंखों में कौन सर्वश्रेष्ठ है ? उत्तर होगा सभी | सभी आश्रम जीवन की अलग अलग अवस्थाएं हैं | जीवन के शुरू के 25 वर्ष माता पिता की देखरेख में गुजरते हैं – ब्रह्मचर्य आश्रम | यह वह समय है जब हम अपने को शिक्षित करते है आने वाले समय के लिए | […]


अच्छे आध्यात्मिक अनुभव क्या पूर्व जन्म की साधना का फल हैं ?

हम इस जन्म में अध्यात्म के रास्ते पर जायेंगे कि नहीं यह पूर्व जन्म के निचोड़ (मृत्यु के समय का कर्मफल) पर निर्भर करता है | इस जन्म में हमें क्या क्या आध्यात्मिक अनुभव होंगे यह निर्भर करता है हमारे पूर्व जन्मों के संचित कर्मफल और वर्तमान जीवन के कर्मफल के आधार पर |   एक accountant की balance sheet […]


अध्यात्म और जवानी में क्या सम्बन्ध है ?

अध्यात्म और जवानी का गूढ़ रिश्ता है | अगर सच में आध्यात्मिक सफर इसी जन्म में पूरा करना है तो अध्यात्म में कदम जवानी में ही रखना होगा, जितना जल्दी हो – बेहतर होगा | जवानी में 12 साल की तपस्या पूरी करने के chance ज्यादा हैं बुढ़ापे के comparison में |   बुढ़ापा आते आते हाथ पैर इतने ढीले […]


क्या अध्यात्मिक होना अति कठिन है ?

अध्यात्म एक अंदरुनी सफर है जो सिर्फ चिंतन के माध्यम से किया जा सकता है | 800 करोड़ लोगों में 10 लोग नहीं जो चिंतन में उतर पाते हैं – ऐसा क्या ? चिंतन में उतरकर 12 वर्ष की अखंड ध्यान और ब्रह्मचर्य की तपस्या अगर कोई पूरी कर ले तो वह महर्षि रमण के लेवल पर पहुंचकर जन्म मृत्यु […]


कुछ आध्यात्मिक लोग अपनी यात्रा में अकेले क्यों चलते हैं ?

कुछ नहीं, हर सच्चा आध्यात्मिक साधक हमेशा अकेले ही चलेगा | कारण ? आध्यात्मिक सफर अंदरूनी सफर हैं आत्मा तक पहुंचने का जो हृदय में बैठी है | अध्यात्म में साधक ध्यान में उतरता है जो सिर्फ चिंतन के द्वारा हो सकता है | चिंतन करने के लिए भीड़ की आवश्यकता नहीं | समय समय पर जो प्रश्न उठेंगे उन […]


मैं संन्यास लेना चाहता हूँ घरवाले नहीं मान रहे कैसे मनाऊं ?

आज के कलियुग में अगर सन्यासी बनकर रहना है तो घर में रहकर क्यों नहीं ? सिद्धार्थ गौतम ने भी कोशिश की थी – घर भी छोड़कर चले गए और 39 सालों तक भटकने पर भी कुछ नहीं मिला | थककर बोधि वृक्ष के नीचे बैठकर 68 साल की उम्र में 12 वर्ष की गहन तपस्या की | तब जाकर […]


अध्यात्म जीवन की बुनियाद है या जीवन का हिस्सा ?

अध्यात्म मानव जीवन की बुनियाद भी है और हिस्सा भी – वह कैसे ? अध्यात्म जीवन की बुनियाद है क्योंकि हम एक शरीर नहीं बल्कि एक आत्मा हैं | आत्मा के कहे रास्ते पर चलना हर इंसान का धर्म भी है और फ़र्ज़ भी | मनुष्य चाहे या न चाहे एक दिन तो अध्यात्मिक होना ही पड़ेगा – क्योंकि आत्मा […]