आध्यात्मिक विकास


आध्यात्मिक साहित्य पढ़ने से क्या व्यक्तित्व को निखारा जा सकता है ?

जैसा हम विचारेंगे – हम वैसे ही हो जाएंगे | अच्छा साहित्य पढ़ने के बाद इंसान जिन विचारों में संलिप्त रहता है – वैसा ही हो जाता है | अगर आध्यात्मिक साहित्य हमें अच्छे विचार अधिग्रहण करने पर विवश करते हैं तो हमारा व्यक्तित्व उसी अनुसार ढल जायेगा | लेकिन अच्छा आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने के बावजूद अगर हम गलत […]


क्या सामान्य व्यक्ति सिद्धि प्राप्त कर सकता है ?

अध्यात्म के रास्ते पर चलता हुआ साधक हर प्रकार की सिद्धियां प्राप्त कर सकता है | अगर हम ब्रह्म के दर्शन करना चाहते हैं तो हमें सिद्धियों की चाहत छोड़नी होगी | ये सिद्धियां ही है जो हमें प्रभु से साक्षात्कार करने में आड़े आती है | सच्चा साधक कभी भी सिद्धियों के चक्कर में नहीं पड़ता, वह तो सिर्फ़ […]


आध्यात्मिक प्रगति हेतु सबसे तीव्र मार्ग कौन सा है ?

सिर्फ और सिर्फ ज्ञान योग का मार्ग पकड़कर हम आध्यात्मिक उन्नति कर सकते हैं | ज्ञान योग यानी ध्यान में उतरना चिंतन के माध्यम से, जिसे contemplation भी कहते हैं | रामकृष्ण परमहंस और महर्षि रमन दोनों ने अंततः ज्ञान योग के द्वारा अपना आध्यात्मिक सफर पूरा किया |   What is meant by Jnana Yoga? ज्ञान योग से क्या […]


हमें अध्यात्मिक तथा मानसिक विकास के लिऐ क्या करना चाहिए ?

दोनों आध्यात्मिक और भौतिक उन्नति के लिए ब्रह्मचर्य का पालन आवश्यक है | अध्यात्म में ध्यान के सहारे उतरा जा सकता है | कुण्डलिनी जागरण के लिए ब्रह्मचर्य की आवश्यकता है | भौतिक जीवन में ब्रह्मचर्य के पालन से असीमित मानसिक प्रगति संभव है |   Dhyan kaise karein | ध्यान करने की सही विधि | Vijay Kumar Atma Jnani


शिक्षक ने ऐसी कौन सी सीख दी जिसने आपका जीवन का अंदाज ही बदल दिया ?

मैं बचपन से सत्य के मार्ग पर चला | में सही हूं या गलत मालूम नहीं था | हिंदी के अध्यापक ने जब पहली बार यह कन्फर्म किया कि मैं सही रास्ते पर हूं तो ज़िन्दगी की राह ही बदल गई और मेरी ब्रह्म के प्रति जिज्ञासा और बढ़ गई |   Power of Absolute Truth | अध्यात्म में सत्य […]


अध्यात्मिक उपलब्धि किसे कहते हैं ?

जब हम सत्य के मार्ग पर चलते हुए कर्मों की निर्जरा करते रहते हैं तो कहा जा सकता है कि अमुक साधक की आध्यात्मिक उन्नति हो रही है | कर्मों की पूर्ण निर्जरा का मतलब हुआ रामकृष्ण परमहंस बन जाना, उस स्थिति में पहुंच जाना जब हम एक शुद्ध आत्मा बन जन्म और मृत्यु के चक्र से हमेशा के लिए […]


क्या वास्तविक जीवन में आपने कभी आलौकिक शक्तियों का अनुभव किया है?

क्या आप निम्नलिखित शक्तियों को अलौकिक मानते हैं –   १. गुडाकेश हो जाना – ८ घंटे की नींद ३ मिनट में पूरी   २. भगवद गीता और उपनिषदों में निहित ज्ञान ABCD हो जाना   ३. ८४ लाखवी योनि में स्थापित हो जाना हमेशा के लिए   ४. भूख पर असीमित control पा लेना (महीने में २ रोटी)   […]


छट्ठी इंद्री जगाने के लिए क्या करना जरूरी है ?

छठी इंद्री, पूर्ण कुण्डलिनी जागरण, सातों चक्रों का खुलना, तत्वज्ञान प्राप्त होना, ब्रह्मज्ञानी बनना – सभी एक ही बात कहते हैं कि मनुष्य रूप में जन्म मृत्यु का भ्रमण अब समाप्त हो गया और ८४ लाखवी योनि में पहुंच आत्मा अपने शुद्ध रूप में वापस आ गई |   यह संभव हो पाता है जब साधक अध्यात्म के रास्ते पर […]


आध्यात्मिक विकास का क्या मतलब है ?

भौतिक जगत में जैसे विकास होता है, आध्यात्मिक जगत में सब कुछ बिल्कुल भिन्न है | क्यों ? इसकी मूल वजह है कि यह शरीर आत्मा ने धारण किया है तो जो आध्यात्मिक क्षेत्र में होगा वहीं permanent होगा अन्यथा नहीं | सोच कर देखें ?   मनुष्य रूप में 11 लाख विभिन्न योनियां हैं, फिर भी हर बार हमें […]


आध्यात्मिक मार्ग में वासनायें किस प्रकार बाधक सिद्ध हो सकती हैं ?

आध्यात्मिक मार्ग पर हमें ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है (फिजिकल + मानसिक ब्रह्मचर्य) | अगर बाल्टी में छेद होगा तो मूलाधार में अमृत इकठ्ठा कैसे होगा ? हम वासनाओं में डूबकर अगर मूलाधार खाली करते रहेंगे तो कुण्डलिनी ऊर्ध्व कैसे होगी ?   अमृतपान सिर्फ कुण्डलिनी के द्वारा हो सकता है | आध्यात्मिक प्रगति के लिए यह बेहद आवश्यक […]


मैं मरने के बाद भी जीना चाहता हूँ क्या सम्भव है ?

महावीर चले गए लेकिन हकीकत में वह ज्यादातर जैनियों के दिलों में आज भी जिंदा है | तत्वज्ञानी कभी नहीं मरता | वह समाज को दिए ज्ञान के सहारे हमेशा जिंदा रहते हैं | जब छोटा था खेतों में कृष्ण को ढूंढने निकला, कैसे मिलते – वह तो हजारों साल पहले जा चुके थे | फिर मालूम पड़ा महावीर, बुद्ध […]


क्या पिछले जन्मों की पढ़ाई अगले जन्म में काम आती है ?

आध्यात्मिक जगत में जो भी प्रगति हमारी इस जन्म में होगी वह बिना किसी loss के अगले जन्म में उपलब्ध होगी | भौतिक जगत में Bill Gates को अगले जीवन में दोबारा नर्सरी से जीवन शुरू करना होगा | कोई relief नहीं |   कितनी खूबसूरत बात है जो ब्रह्म के पीछे चला, सारी progress अगले जन्म में ट्रांसफर हो […]


आत्मा किस प्रकार प्रकाशित होती है ?

आत्मा प्रकाशित होने से मतलब है आत्मा का अपने पूर्ण शुद्ध रूप में वापस आ जाना | जब साधक अध्यात्म में उतर ज्ञान के प्रकाश के द्वारा अज्ञान के अन्धकार को काट उजाले की ओर बढ़ता है तो हम कह सकते हैं आत्मा धीरे धीरे प्रकाशित हो रही है | अगर हमने घर में बल्ब के ऊपर ऐसा स्विच लगा […]


आध्यात्मिक पथ पर अग्रसर व्यक्ति की निरंतरता बाधित क्यों हो जाती है ?

आध्यात्मिक सफर में continuity सिर्फ और सिर्फ एक ही बात से टूटती है – हम physical ब्रह्मचर्य तोड़ दें – चाहे masturbation के द्वारा, या स्वप्नदोष (nightfall) हो जाए | दोनों ही अवस्थाओं में progress 1~2 महीने के लिए स्थगित हो जाएगी |   और किसी भी तरह की बाधा को हम उचित कर्मों द्वारा पार कर सकते हैं लेकिन […]


आत्मसाक्षात्कार कठिन क्यों होता हैं ?

आत्मसाक्षात्कार कठिन नहीं होता क्योंकि वह तो प्रभु देते हैं, जब भी मिलेगा ? कठिन है अध्यात्म की राह पर चलना | 63 साल के आध्यात्मिक सफर में पूरी दुनिया में मुझे आज तक 10 लोग नहीं मिले जो अध्यात्म शब्द का सही मतलब बता सकें, सफर तो बाद में ही करेंगे | कोई ध्यान में उतरना ही नहीं चाहता […]


यदि हम इच्छाओं का अंत कर दें तो प्रभु प्राप्ति में बाधा नहीं रहेगी ?

कर्मों की पूर्ण निर्जरा करने के लिए सिर्फ पांचों इन्द्रियों पर पूर्ण कंट्रोल काफी नहीं लेकिन हां – पांचों इंद्रियों पर control आ गया तो मन पर भी आ ही जाएगा | मन पर पूर्ण कंट्रोल आते ही ऐसी स्थिति तक पहुंचना है जब हमारे अंदर न तो एक भी विचार आए और न अंदर से बाहर जाए और शून्य […]


आध्यात्मिक व्यक्ति निडर क्यों होते हैं ?

ज्यादातर लोग अध्यात्म में उतरने से डरते हैं – क्यों ? अनजान डगर पर कोई नहीं जाना चाहता | फिर फल की इच्छा भी नहीं करनी – बस चलते जाना है | हर आध्यात्मिक साधक को अध्यात्म का अंदरूनी सफर खुद ही तय करना होता है | मुझे अच्छी तरह याद है जब कुण्डलिनी जागृत होना शुरू होती है तो […]


क्या मरने के बाद आत्मा अध्यात्मिक प्रगति कर सकती है ?

ब्रह्म की तरह हर आत्मा भी दृष्टा की भांति काम करती है | कर्म हमेशा शरीर करता है, जो चेतना (आत्मा) ने धारण किया है | जब मनुष्य अध्यात्म में उतर ध्यान इत्यादि करता है तो आध्यात्मिक उन्नति होती है | अगर आत्मा स्वयं ही आध्यात्मिक प्रगति कर सकती तो उसे मनुष्य शरीर धारण करने की आवश्यकता ही क्या थी […]