कर्मयोगी


कर्मयोगी क्या होता है ?

कर्मयोगी शब्द मूलतः उस साधक के लिए इस्तेमाल होता है जो हर कर्म को निष्काम भाव से करता है | निष्काम भाव यानि कर्म तो करना लेकिन कर्मफल के पीछे नहीं भागना | हर योगी को कर्मबंधन के चक्रव्यूह से बाहर निकलना होता है और वह यह तभी कर सकता है जब हर कार्य को निष्काम भाव से करे – […]


योगी और कर्मयोगी में क्या अंतर है ?

योगी शब्द एक साधक के लिए इस्तेमाल होता है जो ब्रह्म से हमेशा के लिए जुड़ना चाहता है | हर योगी के लिए आवश्यक है कि वह एक उच्च दर्जे का निष्काम कर्मयोगी भी हो | कर्म तो करने ही होंगे चाहे आध्यात्मिक हों या नहीं – अगर आध्यात्मिक हैं तो कर्म निष्काम भावना से करने होंगे | साधक सच्चा […]


कर्मयोगी में क्या गुण होने चाहिए जिससे वह वास्तव में कर्मयोगी कहलाए ?

एक सफल कर्मयोगी वह साधक होता है जो हर कर्म को निष्काम भावना से करे – जैसे राजा जनक, स्वामी विवेकानंद और JRD Tata. इन तीनों में राजा जनक तो गृहस्थ कर्मयोगी थे जबकि स्वामी विवेकानंद एक बाल ब्रह्मचारी सन्यासी और JRD Tata का अध्यात्म से कोई नाता न होते हुए भी वह एक उच्च दर्जे के कर्मयोगी थे | […]


जीवन भोग विलास नहीं बल्कि सच्चे कर्मयोगी के लिए संघर्ष ही जीवन है ?

महाभारत महाकाव्य के रचयिता महर्षि वेदव्यास कहते हैं – हृदय में स्थित सारथी कृष्ण (हमारी अपनी आत्मा) हर समय अंदर से एक ही बात कहते हैं – हे अर्जुन, अब देरी न कर, शस्त्र उठा और धर्मयुद्ध शुरू कर | तो महर्षि वेदव्यास अनुसार धरती पर मौजूद हर इंसान अर्जुन है और उसका परम कर्तव्य है कर्मयोगी बनकर कर्मों की […]


न भगवान का नाम न ही पूजा पाठ लेकिन हमेशा सत्कर्म किये तो क्या भगवान की कृपा मिलेगी ?

जब से ब्रह्मांड उत्पन्न हुआ पूरे ब्रह्मांड की कमान धर्म और कर्म के हाथों में है | ब्रह्म तो दृष्टा बने बैठे हैं | धर्म क्या कहता है – हमेशा पुण्य कर्म करो बिना दूसरो का अहित किए | और कर्म तो कर्म ही है – जैसा कर्म करोगे वैसा फल पाओगे |   इन्हीं बातों को ध्यान में रख […]