कर्म


हर काम ईश्वर की मर्जी से होता है तो अच्छे-बुरे कर्मों की सज़ा कौन भुगतता है ?

ब्रह्म ने सृष्टि बना दी और दृष्टा की भांति पूरे ब्रह्माण्ड को चलाता है | पूरी दुनिया कर्म के ऊपर आधारित है | जैसा कर्म करेंगे वैसा फल मिलेगा | मनुष्य को will power भी दे दी | यानी हम अपनी मर्ज़ी के मालिक | मनुष्य शरीर धारण किया है हमारी आत्मा ने |   हम तो मात्र एक निमित […]


कुंडली में लिखा है एक नौकरी ज्यादा महीनों तक हाथ में नहीं रहेगी – 4 साल से वही हो रहा है

कुंडली हो या ज्योतिष शास्त्र, जीवन की बागडोर हमेशा हमारे पास रहती है | सात्विक सोच और अच्छे कर्मों से हम जीवन में सब कुछ साध सकते हैं | ब्रह्म ने हमें will power दी है जिसका सही इस्तेमाल करके हम कहीं भी पहुंच सकते हैं |   मेरी कुंडली में क्या लिखा था नहीं मालूम, लेकिन भगवान तक इसी […]


जो मर जाता है मृत्यु के बाद उसके साथ क्या जाता है ?

मनुष्य का शरीर एक माध्यम है आत्मा के लिए जो स्वयं को शुद्ध करना चाहती है | अध्यात्म कहता है इंसान को हमेशा पुण्य कार्यों में लिप्त रहना चाहिए जिससे कर्मफल अच्छा मिले | मृत्यु के समय हमारा जो कार्मिक शेष है वह decide करता है आत्मा को अगले जीवन में क्या शरीर मिलेगा | कार्मिक शेष positive है तो […]


क्या भगवान हमारी हर गलती पर नजर रखते हैं ?

भगवान नहीं उनका रचित सुपर कार्मिक कंप्यूटर जो हमारे हर कर्म का हिसाब रखता है | भारतीय दर्शन शास्त्र कहते हैं भगवान दृष्टा की भांति काम करता है | सारी जिम्मेदारी कर्म theory की है | जो डालोगे वहीं बाहर निकलेगा, इसी principle पर कंप्यूटर काम करता है, अपना कुछ नया पैदा नहीं करता wysiwyg |   चौराहे पर लगे […]


क्या बिना कर्म जीवन संभव है ?

क्या हम सांस लिए बिना रह सकते हैं ? एक पल भी नहीं | सांस लेना भी एक क्रिया है जो कर्म के अंदर आती है | जब से ब्रह्मांड बना है कर्म साथ साथ चलता है | बिना कर्म के evolution कैसा ? हम जीवन में आगे कैसे बढ़ेगे ?   पूरा ब्रह्माण्ड दो चीजों पर आधारित है evolve […]


पूजापाठ के बजाय क्या कर्मों पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए ?

आज से लगभग ८००० साल पहले मनुष्यों को पूजापाठ और यज्ञ इत्यादि की जरूरत होती थी | जब से भगवद गीता का ज्ञान मानव धर्म को मिला है पूजापाठ आदि की जरूरत ही नहीं | क्यों ?   आज के समय में आध्यात्मिक सफर ज्ञान योग के द्वारा संभव है भक्ति योग के माध्यम से नहीं | रामकृष्ण परमहंस ने […]


कर्म भूमि क्या है ?

कर्मभूमि शब्द धरती मां के लिए इस्तेमाल होता है | ब्रह्माण्ड बनने के बाद जब आत्माएं ब्रह्माण्ड में फैलती जा रही थी तो उन्हें एक कर्मभूमि की जरूरत थी जहां वे शरीर धारण कर अपने अंदर की अशुद्धियों को जड़ से खत्म कर सकें |   आत्मा खुद कर्म कर नहीं सकती | कर्म करने के लिए उन्हें एक शरीर […]


क्या ज्योतिष विद्या को मानते हैं या केवल कर्म करने में विश्वास करते हैं ?

ज्योतिष विद्या एक balance sheet की तरह काम करती है | जो आपका कार्मिक शेष है उसी के अनुसार आने वाले समय की दस्तक के बारे में आपको ज्ञान प्रदान करती है | जो कर्म आपने आज तक किए उन्हीं को basis बनाकर ज्योतिष गणना की जाती है | तो कर्म तो मूल हुए | कर्म नहीं करेंगे तो जीवन […]


जब कर्म समाप्त हो जाता है तो क्या होता है ?

अगर कर्म zero शून्य हो जाएं यानी कर्मों की पूर्ण निर्जरा हो जाए तो जानते हैं क्या होगा – साधक उसी समय रामकृष्ण परमहंस या महर्षि रमण बन जन्म और मृत्यु के चक्रव्यूह से हमेशा के लिए मुक्त हो जाता है | जब से ब्रह्मांड बना है कर्म theory प्रधान है | आत्मा शरीर धारण करती है कर्मों की निर्जरा […]


क्या हाथ की लकीरों से कुछ होता है क्योंकि किस्मत तो उनकी भी होती है जिनके हाथ नहीं होते ?

दाएं हाथ की लकीरें represent करती हैं हमारा present जीवन | हमारा कार्मिक लेखा जोखा दाहिने हाथ में होता है | बाएं हाथ की लकीरें मनुष्य रूप में ११ लाख में से जितनी भी योनियों के दौर से हम गुज़र चुके हैं वह सब represent करती है | अगर हम आज ७३ लाख ५२४ वी योनि पर स्थित हैं तो […]


क्या किसी के द्वारा दी गयी दुआ या बद्दुआ फलती है ?

आध्यात्मिक दृष्टि से हम एक आत्मा हैं | एक शरीर के अंदर काबलियत नहीं कि वह किसी दूसरे शरीर को कोस सके लेकिन हर आत्मा दूसरी आत्मा का बुरा भला चाह सकती है | यह हकीकत है |   हर दुआ या बद्दुआ फलती है | हमारे आध्यात्मिक शास्त्र कहते हैं किसी को बद्दुआ देने से बचना चाहिए क्योंकि किसी […]


काम को अधिक महत्व देना चाहिए कि पूजा पाठ को ?

हम जीवन के किसी भी पड़ाव में हों, काम अथवा कर्म करना हमारी नियति है क्योंकि कर्म के बिना गुजारा नहीं | सांस लेना भी एक प्रकार का कर्म ही है | अकर्मण्यता कोई बचने का रास्ता नहीं, कर्म तो करना ही पड़ेगा | Student हैं तो पढ़ना पड़ेगा, और गृहस्थ हैं तो रोटी रोज़ी की व्यवस्था तो करनी ही […]


कर्मो का जिम्मेदार कौन है आप या परमात्मा ?

ब्रह्म एक दृष्टा की भांति कार्य करते हैं | ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति के बाद पूरी सृष्टि को छोड़ देते हैं धर्म और कर्म के सहारे | धर्म हर जीव के साथ जन्म से विद्यमान है | तभी हम पशुओं से भिन्न हैं | जीवन का हर पल, धर्म हमें govern (control) करता है |   कर्म ब्रह्माण्ड का मूल सिद्धांत […]


कर्म कितने प्रकार के होते हैं उनमें श्रेष्ठ कर्म कौन सा है ?

हमे शाब्दिक अर्थों या प्रकार पर कभी नहीं जाना चाहिए ? जो कर्म आध्यात्मिक journey में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है वह है निष्काम कर्मयोग | अपनी मैं (अहंकार) को नस्ट करने के लिए, अपने मोह को खत्म करने के लिए हमें कर्म निष्काम भाव से करने होंगे | फल क्योंकि हमेशा आत्मा का होता है न कि शरीर (मनुष्य) का, […]


कर्म करना हमारे हाथ में है या सब कुछ वही कर रहा है ?

जब से ब्रह्मांड उत्पन्न हुआ और सारी आत्माएं पूरे ब्रह्मांड में व्याप्त हो गईं- यह ब्रह्मांड सिर्फ और सिर्फ धर्म और कर्म theory पर आधारित है | जैसा करोगे वैसा फल मिलेगा | ब्रह्म ने हर मनुष्य को will power और विवेक से सुशोभित किया है जिसके बूते पर वह अपना सांसारिक जीवन आराम से जी/ काट सके |   […]


कर्म प्रधान होता है या धर्म प्रधान होता है ?

धर्म और कर्म दोनों ब्रह्म द्वारा रचित वो विधियां हैं जिनका इस्तेमाल कर इंसान जीवन में आगे बढ़ता है | धर्म हर जीव में (सभी 84 लाख योनियों में) जन्म से मौजूद रहता है | यह धर्म ही है जो मनुष्य को पशु बनने से/ मरने मारने से रोकता है | अगर जीव के अंदर धर्म न हो तो ब्रह्माण्ड […]


अगर हरेक के अन्दर परमात्मा है तो जीवों की इतनी दुर्गति क्यों हो रही है ?

परमात्मा हमारे अंदर अंश रूप में मौजूद है – आत्मा स्वरूप | अपने ब्रह्मांडीय सफर में आत्मा ने अपने अंदर अशुद्धियां ले लीं तभी तो उसे जीव रूप धारण करना पड़ता है | जब जीव पुण्य कर्म करता है तो अशुद्धियां कम होती जाती हैं | अब जीव हर समय तो पुण्य कर्म करेगा नहीं, पाप कर्म भी करेगा, तो […]