क्या किसी के द्वारा दी गयी दुआ या बद्दुआ फलती है ?


आध्यात्मिक दृष्टि से हम एक आत्मा हैं | एक शरीर के अंदर काबलियत नहीं कि वह किसी दूसरे शरीर को कोस सके लेकिन हर आत्मा दूसरी आत्मा का बुरा भला चाह सकती है | यह हकीकत है |

 

हर दुआ या बद्दुआ फलती है | हमारे आध्यात्मिक शास्त्र कहते हैं किसी को बद्दुआ देने से बचना चाहिए क्योंकि किसी को दी हुई बद्दुआ का आधा हमें भी फलता है | अगर हम किसी का बुरा चाहते हैं तो आधी मात्रा में बुरा हमारा स्वयं का भी होगा |

 

यह नियम शायद ब्रह्म ने इसलिए बनाया होगा कि हम हर समय दूसरों को बद्दुआ देने में न संलग्न रहें | पाप और पुण्य का ध्यान रखते हुए हमें हर समय पुण्य कर्म में लिप्त रहना चाहिए | Positivity सफल जीवन का अचूक मंत्र है |

 

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