इंसान को हर क्षण ब्रह्म की कृतज्ञता के प्रति आभार प्रकट करते रहना चाहिए – वह कैसे – दूसरों की समय असमय मदद करके | हम धरती पर सबसे उच्च योनि में स्थापित हैं – चाहें तो अध्यात्म में उतर, ध्यान द्वारा 84 लाखवी योनि में स्थापित हो जन्म मृत्यु के चक्रव्यूह से हमेशा के लिए मुक्त हो सकते हैं |
इतने सुन्दर संसार में रहते हैं – अभिव्यक्ति की आज़ादी है – किसी के गुलाम नहीं | ब्रह्म ने सब कुछ दिया है – वह तो हमीं मैं से ओतप्रोत होकर न आत्मा की सुनते हैं न भगवान की | हर समय अपनी मनमानी में व्यस्त रहते हैं और कुछ गड़बड़ हो जाए तो भगवान को दोष देने में चूकते नहीं | अध्यात्म कहता है संसार दुख्मा नहीं |
भगवान की कृपा के प्रति कृतज्ञ होना तो अच्छी बात है – देखा नहीं खाना खाने से पहले विदेशी grace कहते हैं, ब्रह्म का आभार प्रकट करते हैं कि खाने को दिया |
How do you express Gratitude in words to God? भगवान की कृपा के प्रति कृतज्ञता | Vijay Kumar