गृहस्थ जीवन में अध्यात्म की राह पर चलना आसान तो नहीं, लेकिन असंभव भी नहीं | अध्यात्म में दो चीजों की आवश्यकता होती है –
1. 12 वर्ष की अखंड ब्रह्मचर्य की तपस्या – अगर पत्नी तैयार नहीं तो कैसे होगी तपस्या ?
2. 12 वर्ष का ध्यान (चिंतन के माध्यम से अपने अंदर उमड़ते विचारों की पूर्ण निर्जरा) |
ध्यान में उतरने के लिए पत्नी की इजाजत की जरूरत नहीं लेकिन ब्रह्मचर्य का क्या ? जितना संभव हो पाए उतना करें क्योंकि physical ब्रह्मचर्य जिसमें पत्नी की हामी चाहिए वह तो सिर्फ 5% है, 95% ब्रह्मचर्य तो मानसिक होता है कभी भी कर सकते हैं |
मैं 5 वर्ष की आयु से भगवान की खोज में चला, उस समय मालूम नहीं था बड़े होकर क्या बनूंगा/ क्या करूंगा, आगे जाकर शादी भी होगी या नहीं (शादी भी निमित्त के हिसाब से होती है, हमारे हाथ में नहीं) | शादी हुई, पूरी family है | लेकिन एक बात शादी से पहले ससुर और होने वाली पत्नी को clear बता दी, 12 साल की तपस्या में जाऊंगा, उस समय भाई – बहन |
21 की आयु में शादी, 24 तक बच्चों से निवृत्त और 12 वर्ष की तपस्या चालू हो गई | 37 वर्ष की आयु में 1993 3 अगस्त सुबह 1.45 पर ब्रह्म से 2 1/2 घंटे का साक्षात्कार |
How to indulge in Spirituality when married | गृहस्थ जीवन में अध्यात्म का रास्ता कैसे पकड़ें