जिंदगी को आसानी से कैसे जिएं ?


जब किसी ने एक पहाड़ों पर परेशानियों के मध्य रह रहे स्वामी जी से पूछा – आप इतना आनंदमय व प्रफुल्लित कैसे रहते हैं तो सीधा सा जवाब था – मेरी आवश्यकताएं लगभग नगण्य, zero हैं | मेरा किसी से competition नहीं, न्यूनतम requirements हैं | जीने के लिए खाता हूं, खाने के लिए नहीं जीता | इस कारण जिंदगी सुगम है कोई अटकाव नहीं |

 

ज़िन्दगी को मुश्किल तो हमारी अनगिनत इच्छाओं ने बना रखा है | साथ में अगर हम अपने अहंकार पर अंकुश लगा लें तो ज़िन्दगी आसान ही नहीं, बहुत जीवंत और सारगर्भित हो जाएगी | ५ वर्ष की आयु से ब्रह्म की खोज, कोई आडंबर नहीं | समय समय पर मां और दादी का हाथ बटाना, घर के कामों में पूर्ण निष्ठा, तो आध्यात्मिक सफर आसान ही रहा |

 

दिक्कत आई जब एक गुरु की आवश्यकता महसूस हुई | अपने अंदर उमड़ते प्रश्नों के सैलाब को समेट नहीं पा रहा था | खूब ढूंढा पूरे भारतवर्ष में लेकिन नहीं मिला | आखिरकार भगवान के आगे हाथ खड़े कर दिए कि अब और बर्दाश्त नहीं होता | और अचानक मुंह से निकला, भगवान क्या आप ही मेरे गुरु बनोगे | आशा के विपरित ऊपर से वाणी ( हृदय से) आयी हां ! और फिर जीवन में मुड़कर नहीं देखा |

 

भगवान में १००% आस्था और सत्य का मार्ग, इन दोनों ने पूरा आध्यात्मिक सफर आसान बनाए रखा |

 

Power of Absolute Truth | अध्यात्म में सत्य का महत्व | Vijay Kumar Atma Jnani

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