द्वेष, मनमुटाव किसलिए ? अगर हमारा उद्देश्य इसी जीवन में भगवान को पाना है तो वक़्त कहां है ? जो चीज हमें ११ लाख योनियों के सफर में मिलनी है अगर हम उसे इसी जन्म में प्राप्त करना चाहते हैं तो मेहनत करनी होगी | रंजिश के पीछे दूसरे का वैरभाव भी हो सकता है और हमारी खुद की छोटी सोच यानि अहंकार | अगर दूसरा अकारण तंग कर रहा है तो सामना करना ही होगा जैसा अर्जुन ने किया | अन्यथा अपने अहंकार को शनै शनै काबू में लाना होगा |
हमेशा ध्यान रहे, एक ही जीवन है | ११ लाख मनुष्य योनियां तो आत्मा के लिए हैं, हमारे पास तो बस यही एक जीवन है | आध्यात्मिक सफर में मुझे कितनी प्रताड़नाओं का सामना करना पड़ा, अगर आम इंसान उनसे गुजरे तो १०० जन्म भी कम पड़ जाएं | जीवन का goal ५ वर्ष की आयु से fix है | दृढ़ता के साथ कहता हूं अगर ब्रह्म खुद भी आ जाते तो मुझे अपने गंतव्य से डिगा नहीं पाते |
दुनिया कहती रही, हम अपने उद्देश्य के पीछे लगे रहे | समाज की कभी चिंता ही नहीं की न आज करता हूं | सच (सत्य) में वो ताकत है जो पूरे समाज को झुका सकती है | ५ वर्ष की आयु से ब्रह्म में पूर्ण १००% आस्था और सत्य का मार्ग, कोई व्यवधान permanent नहीं |
जिस इंसान का जीवन का लक्ष्य fix है वह वाकई समाज की चिंता नहीं करता | १९९७ से अपने english के articles में बड़ी दृढ़ता के साथ कहता हूं, पूरे ८०० करोड़ लोग एक तरफ और मैं अकेला सत्य के साथ, काफी हूं | जीवन में लक्ष्य निर्धारित करो और आगे बढ़ जाओ |
What is the main Purpose of Life? मानव जीवन का मकसद | Vijay Kumar Atma Jnani