पहाड़ों की कंदराओं में बैठकर तप करना सहज है किन्तु परिवार में रहकर धीरज बनाये रखना सबके वश में नहीं ?
मैंने खुद देखा है स्वामियों को पानी लेने की खातिर पहाड़ से ३~४ किलोमीटर उतरते हुए और फिर वापस चढ़ना | जीवन दोनों कठिन हैं | बिना कर्म किए किसी का गुजारा नहीं | और फिर जंगली जानवरों का डर, उनसे कौन बचाता है | सब खुद करना पड़ता है | मूल है निष्काम भावना से कर्म करना | […]