धार्मिक मान्यताएं


मानव जीवन में धर्म की सार्थकता क्या है ?

धर्म की सार्थकता को judge करने का अधिकार मनुष्य के पास है ही नहीं | क्यों ? धर्म वह नहीं जो मनुष्यों ने बना दिया है या मनुष्य जाति समझने लगी है | आजकल लोग धर्म को religion से जोड़ कर देखते हैं जो सर्वथा गलत है | धर्म का religion, मत, मजहब, पंथ इत्यादि से कोई connection नहीं | […]


पुराण पर अब कोई टीवी सीरिअल क्यों नहीं बन रहे ?

पुराण वास्तव में धार्मिक ग्रंथ हैं जो किसी छिपे आध्यात्मिक मर्म को प्रतिपादित करते हैं | पुराणों पर धारावाहिक बनाना पाप है क्योंकि पुराण सिर्फ धार्मिक कहानियां हैं और सीरियल तो छिपे आध्यात्मिक मर्म पर बनना चाहिए जो किसी भी धार्मिक प्रोड्यूसर के बस में नहीं | रामायण और महाभारत तो महाकाव्य हैं जिन पर धारावाहिक बनाना एक उच्च कोटि […]


क्या ब्रह्मा विष्णु महेश वास्तविक भगवान है ?

ब्रह्मा विष्णु और महेश, भगवान (ब्रह्म) की विभूतियों को दिए नाम हैं | जैसे एक ही महिला मां, पत्नी, पुत्री, बहन इत्यादि आभा से सुशोभित है, उपासकों ने अपनी कामना अनुसार ब्रह्म के creative स्वरूप को ब्रह्मा कहा, जो पृथ्वी को चलाता है उसे विष्णु और जो पूरे सिस्टम को संतुलित किए रखता है वह महेश (जिसके पास जन्म और […]


मूर्ति पूजा ग़लत क्यों है ?

अगर हम अध्यात्म की राह पकड़ इसी जन्म में ब्रह्मप्राप्ती के इच्छुक हैं और मूर्तिपूजा करते हैं तो कीमती समय नष्ट कर रहे हैं | अध्यात्म में ब्रह्म तक पहुंचने के लिए किसी माध्यम की जरूरत नहीं होती | ब्रह्म निराकार हैं, हृदय में स्थापित हैं, उन्हें ढूंढने बाहर क्या जाना, या मंदिरों में जाकर पूजा इत्यादि क्यों करना ? […]


माता सरस्वती का ज्ञान से क्य़ा संबंध है ?

अध्यात्म में किसी भी देवी देवता के लिए कोई स्थान नहीं | देवी देवताओं का साम्राज्य उनके लिए है जो धार्मिक हैं | अध्यात्म कहता है अगर हम पूर्णतया सत्यवादी हो जाएं तो हृदय से आती कृष्ण (सारथी) की आवाज़ बिल्कुल साफ सुन सकेंगे और पूरे ब्रह्मांड में निहित ज्ञान हमारे क़दमों में होगा |   भगवद गीता में कृष्ण […]


क्या दान कर्म का फल अगले जन्म में मिलेगा ?

दान करना धार्मिक कर्मकांडो के तहत आता है | धर्म (आजकल लोग religion को ही धर्म मानते हैं जबकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है) के रास्ते पर चलकर आध्यात्मिक उन्नति zero रहती है | फिर भी लगभग सारी दुनिया धार्मिक अनुष्ठानों में लगी रहती है इस उम्मीद में कि शायद मोक्ष हो जाए | मोक्ष तो छोड़िए अगर मनुष्य जन्म […]


त्रिमूर्ति में कौन से तीन देवता शामिल हैं ?

अध्यात्म देवी देवताओं के व्यापक संसार में दखल नहीं देता – क्योंकि वे यथार्थ पर based नहीं है | आध्यात्मिक जगत में देवी देवता सिर्फ ब्रह्म की विभूतियों के तौर पर स्थित हैं | यही स्थिति त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश (शिव) की भी है |   जैसे एक स्त्री एक ही घर में मां भी है, बेटी भी, पत्नी […]


मंदिर में देवता या देवी की मूर्ति में पंडित जी प्राण प्रतिष्ठा करते हैं तो क्या मूर्ति में जान आ जाती है ?

जब भी किसी मंदिर में मूर्ति स्थापित कर प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव किया जाता है उससे उस मूर्ति में भगवान नहीं आ जाते – हां, मनुष्यों का भगवान में विश्वास दोगुना चौगुना हो जाता है | उससे ज्यादा खुद में विश्वास बेहद बढ़ जाता है | यही नहीं सामंजस्य की भावना जो हर किसी के हृदय में घर कर जाती है […]


पढ़ाई के लिए किस भगवान की पूजा करनी चाहिए ?

जब हम पढ़ाई करने बैंठे तो भगवान से निम्न प्रार्थना करनी चाहिए, हे प्रभु, मैं इस ‘subject‘ में थोड़ा कमजोर हूं, कृपा करें कि मैं अपनी समस्त शारीरिक और मानसिक ऊर्जा को ‘subject‘ को समझने में लगा सकूं | मुझे अर्जुन की तरह मछली कि आंख नहीं, बस आंख का केंद्र बिंदु नजर आए | जो एक बार एकाग्रता के […]


कोई भी शुभ कार्य करने से पहले कौन से भगवान की पूजा करना चाहिए ?

अगर हम हमेशा positive विचारों का अवलोकन/ आदान प्रदान करते हैं तो कभी भी जीवन में किसी प्रकार की पूजा की जरूरत नहीं | 5 वर्ष की आयु से अध्यात्म की राह पर चलने वाला मैं जीवन में कभी किसी पूजा पाठ में नहीं उलझा | अगर महसूस हुआ तो अन्दर से ब्रह्म से बात कर ली, और ब्रह्म से […]


क्या साठ साल की उम्र में पैदल चार धाम की यात्रा उचित है ?

फिजूल के धार्मिक उन्मादो में वक़्त और ऊर्जा जाया करने से बेहतर है हम अध्यात्म/ ध्यान में जितना भी उतर सके – कहीं बेहतर होगा | इंसान पूरी जिंदगी रोज़ मंदिर जाने में व्यतीत कर देता है लेकिन अंततः मिलता क्या है – कुछ नहीं ? आत्मा जीवन में तभी आगे बढ़ेगी जब इंसान कर्मों की निर्जरा करेगा |   […]


मजबूरन मुझे अपने कुलदेवता के मंदिर में पशु बलि देनी पड़ती है

कुछ भी धार्मिक क्रिया करने से पहले हमें यह सोचना चाहिए कि इसका अध्यात्मिक लाभ क्या होगा ? आज के समय में धार्मिक कर्मकांडो से भगवान के नजदीक नहीं पहुंच सकते तो उलझना ही क्यों | उल्टा पशु हत्या का पाप लगेगा ?   अध्यात्म पशु बलि की इजाज़त नहीं देता | अगर हम प्रभु को खुश करना चाहते हैं […]