ध्यान


गीता अनुसार क्या सिर्फ और सिर्फ भगवान् कृष्ण का ध्यान और ॐ का जाप करना चाहिए ?

सिर्फ भगवद गीता ही नहीं सभी श्रुति शास्त्र जैसे चारों वेद और 11 principal उपनिषद एक ही बात को महत्व देते हैं – वह है ताप, तपस – तपस्या के द्वारा अंदर व्याप्त क्लेश को निवृत करने की क्षमता | जाप, माला फेरना, पूजा पाठ, भजन कीर्तन इत्यादि का अध्यात्म में कोई महत्व नहीं | श्रीकृष्ण और भगवद गीता – […]


ध्यान करते समय क्या सोचना चाहिए ?

अध्यात्म में ध्यान में उतरने के लिए सोच कैसी होनी चाहिए – इसके बारे में विभिन्न मत सुनने और देखने में आते हैं | अक्सर यह भ्रांति फैलाई जाती है कि पद्मासन की मुद्रा में बैठकर अंधेरे कमरे में रखी मोमबत्ती की लौ पर अपना ध्यान केंद्रित करों | ऐसा करने से क्या होगा – यह कभी नहीं बताया जाता […]


मैं ध्यान करना चाहता हूँ – व्यस्त रहता हूँ – कैसे और कब ध्यान करूं ?

अध्यात्म में सही ध्यान लगाने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना बेहद आवश्यक है –   1.. मनुष्यों को ध्यान की जरूरत ही क्यों पड़ती है ? जब से आत्माएं ब्रह्म से दूर हुई – ब्रह्मांडीय सफर के कारण उनके अंदर अशुद्धियां भर गई | इन्हीं क्लेशों को खत्म करने के लिए साधकों को ध्यान में उतरना पड़ता है […]


एकांतवास और ध्यान के लिए कौन सा आश्रम अच्छा है ?

आम मान्यता है – सही ध्यान के लिए एकांत जरूरी है | तभी तो हजारों वर्ष पहले ऋषि मुनि हिमालय की कंदराओं में जाकर समाधि अवस्था में लीन हो जाते थे | उस समय वह जरूरी था क्योंकि joint परिवार हुआ करते थे | ऐसे वातावरण में जहां जिम्मेदारियों का बोझ भी अकथित हो – योग करने की सोचना लगभग […]


ध्यान के माध्यम से ज्ञान की प्राप्ति कर सकते हैं ?

ध्यान के द्वारा चिंतन किया जा सकता है | यह चिंतन ही है जो हमें शास्त्रों में निहित ज्ञान तक पहुंचने में मदद करता है | ज्ञान सिर्फ माध्यम है आत्मा के अंदर निहित अंधकार को मिटाने के लिए | आत्मा स्वयं की शुद्धि खुद नहीं कर सकती उसे एक माध्यम की जरूरत पड़ती है | इसलिए वह शरीर धारण […]


क्या पालथी मारने आंखें बंद करने से ध्यान घटित होता है ?

ध्यान करने की सही विधि अगर किसी को आ जाए तो वह साधक इस दुनिया में जल्द ही स्वामी विवेकानंद के लेवल पर पहुँच जाएगा |   Dhyan kaise karein | ध्यान करने की सही विधि | Vijay Kumar Atma Jnani


ध्यान मेडिटेशन की शुरुआत करने का आसान तरीका क्या है ?

ध्यान में उतरने का एक ही तरीका है – चिंतन जिसे contemplation कहते हैं | महर्षि रमण ने सेल्फ इंक्वायरी का जो तरीका बताया है उससे बेहतर ध्यान करने का माध्यम कहीं नहीं मिलेगा |   Dhyan kaise karein | ध्यान करने की सही विधि | Vijay Kumar Atma Jnani


ध्यान की कुल कितनी पद्धतियां हैं ?

भारतीय दर्शन में ध्यान में उतरने का रास्ता एक ही है चिंतन के माध्यम से, जिसे इंग्लिश में contemplation कहते हैं | महर्षि रमण ने इसे सेल्फ इंक्वायरी कहा है |   Dhyan kaise karein | ध्यान करने की सही विधि | Vijay Kumar Atma Jnani


मैं जब भी ध्यान करता हूँ मेरा शरीर शुरुआती दौर में कुछ झटके देता है ?

जब हम ध्यान में होते हैं तो कर्मो की निर्जरा करते हैं यानी नेगेटिव कर्मो को काटते हैं | जब हमारे अंदर नेगेटिविटी कम होती है तो वह हमेशा झटके देती है | और नेगेटिविटी कम होने का मतलब है हम ज्यादा पॉजिटिव शुद्ध हो रहे हैं तो हमें अच्छा लगता है |   12 years Tapasya | 12 साल […]


मैं ध्यान में बैठता हूँ तो नींद आ जाती है ?

जब हम ध्यान में उतरते हैं तो आत्मा के लेवल पर चले जाते हैं | जब हम आत्मा के लेवल पर पहुंच जाते हैं तो फिजिकल शरीर धीरे धीरे शिथिल होने लगता है और अंततः नींद हमें घेर लेती है | काफी अभ्यास के बाद जब हमें अहसास हो जाता है कि हम एक आत्मा है न कि शरीर तो […]


मैं किसी भी चीज में ध्यान नहीं लगा पा रहा हूँ ?

जब जीवन में एक स्थापित लक्ष्य नहीं होता, तो किसी भी विषय में एकाग्र होना बेहद मुश्किल हो जाता है | जीवन का एक गोल तय करो और फिर उसे पूरा करने में पूरी शक्ति लगा दो |   What is the main Purpose of Life? मानव जीवन का मकसद | Vijay Kumar Atma Jnani


ध्यान में कभी ऐसा क्यूं लगता है कि कोई पास बैठ कर छू रहा है ?

ध्यान में जब हम पूरी तरह डूब जाते हैं तो अपनी आत्मा और प्रभु ब्रह्म के बेहद नजदीक होते हैं | हमें जो छूने की कोशिश कर रहा है वह और कोई नहीं बल्कि हमारी अपनी आत्मा है जो हमसे कुछ कहना चाहती है | सत्य के मार्ग पर चलते हुए मैंने अपनी आत्मा की आवाज को कभी अनसुना नहीं […]


जब कोई ध्यान करता है तो क्या होता है ?

जिस साधक को ध्यान शब्द का मतलब समझ आ जाए, यह तय है वह इसी जन्म में रामकृष्ण परमहंस बनने में कामयाब हो जाएगा | रामकृष्ण परमहंस अपना शरीर १८८६ में त्याग कर चले गए, उसके बाद महर्षि रमण १९५० में चले गए, लगभग १५० साल गुजर गए, दूसरा रामकृष्ण परमहंस या महर्षि रमण कहां है ? स्वामी विवेकानंद ने […]


ध्यान का प्रथम स्तर क्या है ?

अगर आप ध्यान की सही प्रक्रिया को जानते हैं तो यह समझते देर नहीं लगेगी कि ध्यान में कोई स्तर नहीं होते | ध्यान की आवश्यकता होती है जब हम अध्यात्म के रास्ते पर चलकर ब्रह्म तक पहुंचना चाहते हैं, उससे आत्मसाक्षात्कार करना चाहते हैं |   ध्यान यानि अपने अंदर आते हजारों लाखों विचारों को जड़ से खत्म कर […]


ध्यान के बाद उत्तर मिल गया कि कौन हूँ लेकिन धरती पर क्यों भेजा गया – नहीं मिला ?

चौरासी लाख योनियों के फेर को अगर आप भलीभांति समझ लें तो समझ आयेगा कि हमें नहीं बल्कि हमारी आत्मा ने धरती पर शरीर इसलिए धारण किया है कि वह पूर्ण शुद्धि पा सके |   स्वयं से आत्मा दृष्टा की तरह काम करती है | खुद शुद्ध नहीं हो सकती | उसे आवश्यकता पड़ती है एक शरीर धारण करने […]


पूरा दिन योग ध्यान करने का मन करे तो क्या करें ?

योग अलग से नहीं किया जाता, योग तो सिर्फ भगवान से होता है | हिंदी में २ योग २ बराबर ४ | आत्मा की परमात्मा से मिलने की चेष्टा को योग कहते हैं | ध्यान करने का तरीका इस दुनिया में ८०० करोड़ लोगों में कितने जानते होंगे ? शायद १ या २ | जिस साधक को सही ध्यान करना […]


जब ध्यान का प्रयास किया मन भटकने लगता है – क्या करें ?

ब्रह्म ने – ध्यान में उतरकर, ब्रह्म तक पहुंचने के लिए १ करोड़ वर्ष की अवधि दी है, मनुष्य रूप में ११ लाख योनियों का लंबा सफर | ध्यान करते वक़्त मन तो भटकेगा ही, हम यह उम्मीद तो नहीं कर सकते पहली attempt में सफल हो जाएंगे |   रामकृष्ण परमहंस एक ही योनि में रामकृष्ण परमहंस बन ब्रह्म […]


ध्यान करने के बाद सिरदर्द क्यों होता है ?

आम साधक जब आध्यात्मिक मार्ग में आगे बढ़ता है तो अक्सर सिरदर्द का शिकार हो जाता है | इसका कारण है – आम इंसान अपना मस्तिष्क २ ~ ३% इस्तेमाल करता है | बाकी ९७ ~ ९८% जन्म से बंद है | बंद पड़ा मस्तिष्क का हिस्सा सिर्फ और सिर्फ कुण्डलिनी के जागरण और चक्रों के खुलने से directly connected […]


ध्यान करने के परिणामों को महसूस करने में कितना समय लगता है?

ध्यान में उतरने का सही तरीका चिंतन का माध्यम है | हम ध्यान २४ घंटे, हफ्ते के सात दिन और साल के ३६५ दिन लगातार एक पल भी रुके बिना कर सकते हैं | अगर ध्यान की सही विधि आ जाए तो स्वामी विवेकानंद बनने में १२ वर्ष ही लगेंगे |   ध्यान का कोई परिणाम नहीं होता, बस आप […]


ध्यान ओर उपासना में क्या अंतर है ?

ध्यान अध्यात्म की वो पद्वति है जिसके द्वारा ब्रह्म तक पहुंचा जा सकता है | अगर हम इस जीवन में भगवान से साक्षात्कार करना चाहते हैं तो हमें ध्यान में चिंतन के द्वारा उतरना चाहिए | यह वही रास्ता है जो महर्षि रमण ने प्रतिपादित किया था – शवासन की मुद्रा में self enquiry में खो जाना | इसी मार्ग […]


जब हम ध्यान करते है तो मन को शांति कैसे प्राप्त होती हैं ?

जैसे जैसे हम भगवान की ओर बढ़ते हैं तो अत्यंत आंतरिक सुख/आनंद महसूस करते हैं | ऐसा प्रायः सभी साधकों ने कभी न कभी महसूस किया होगा | भगवान को जानने की क्रिया चाहे कोई भी हो – भक्तियोग, ज्ञानयोग, निष्काम कर्मयोग, भजन कीर्तन, पूजा इत्यादि | ऐसा क्यों होता है ?   मनुष्य अपने मस्तिष्क का 1 ~ 3% […]


क्या योग और ध्यान से सब कुछ संभव है ?

योग मूलतः सिद्धांत है जो हमें ब्रह्म से मिलने के लिए प्रेरित करता है | हिंदी में 2 योग 2 = 4 , या कहें 2 जमा 2 बराबर 4 | आत्मा की ब्रह्म से मिलने की चेष्टा को योग कहते हैं | आत्मा हमेशा से ब्रह्म से योग करना चाहती है, जहां से चली थी वहां शीघ्रताशीघ्र वापस पहुंचना […]


क्या पूरे मन से भगवान का ध्यान लगाने पर उनके दर्शन हो सकते हैं ?

ब्रह्म के दर्शन नहीं सिर्फ और सिर्फ साक्षात्कार ही होता है | हम जो वास्तव में एक आत्मा हैं, और जब ध्यान के माध्यम से शुद्ध आत्मा बन जाते हैं तो हमारे मनुष्य जीवन का अंत हो जाता है | एक शुद्ध आत्मा का शरीर धारण करने में फिर कोई प्रयोजन नहीं रह जाता | भगवान के दर्शन करने के […]


स्वयं के वास्तविक स्वरूप को समझने की ध्यान प्रक्रिया में त्याग का क्या स्थान है ?

स्वयं को प्राप्त करने के लिए (शुद्ध आत्मा बनने के लिए) अध्यात्म की राह पर हमें निम्नलिखित चीज़ों का त्याग करना ही होगा –   1. मैं (अहंकार) जो अध्यात्म की राह में सबसे बड़ा बाधक है | मैं पर कंट्रोल पाने के लिए हमें सम भाव में रहना होगा | हमें कर्म निष्काम भाव से करने होंगे | यह […]


ध्यान की सरलतम और सटीक विधि बात सकते है ?

मुझे माउंट एवरेस्ट पर चढ़ना है, कोई सरल उपाय बताओ – गांव का चौधरी जो पीछे खड़ा था बोला, गांव के पीछे जो टीला है उस पे चढ़ जा, हो गया माउंट एवरेस्ट |   जिस विधि को पूर्ण करने के लिए ब्रह्म (विधाता) ने 1 करोड़ वर्ष की अवधि दी है (11 लाख योनियों का फेर) उसे हम शीघ्रातिशीघ्र […]


पुराने ज़माने के साधु सालों ध्यान में बिता देते थे लेकिन आजकल के लोग दस मिनिट भी नहीं बैठ पाते ?

पिछले समय में जो भी इंसान साधु बनता था उसका एक ही ध्येय होता था – अध्यात्म में प्रगति | गुरु बनाते भी थे तो सिर्फ शंकाएं दूर करने के लिए | आज का साधु मंडली में रहता है, समाज से जुड़ा रहता है, और कुछ को मौका मिले तो गुरु की गद्दी हथियाने को तैयार |   समय के […]


ध्यान में सोच क्या होनी चाहिए ?

ध्यान प्रक्रिया में सोच का कोई स्थान नहीं | ध्यान प्रक्रिया तो दृष्टा की भांति जी जाती है | पहले हमें ध्यान की परिभाषा समझनी चाहिए – अपने अंदर उमड़ते हर प्रश्न को जड़ से खत्म करना होता है | जैसे जैसे हमारे अंदर कम प्रश्न आएंगे – हमें स्वयं महसूस होगा कि कर्मो की निर्जरा हो रही है | […]


ध्यान में इश्वर दिखाई दे तो क्या मांगेंगे – जब तक मांग है वह दिखाई भी नहीं देता ?

ईश्वर में ईश धातु – मांगने के उपक्रम को दर्शाती है | तो अध्यात्म में अर्पण,पूजा इत्यादि हमेशा ब्रह्म को होना चाहिए | मनुष्य योनि मिल गई, और ज्यादा क्या चाहिए – कोशिश करें तो मोक्ष भी मिल सकता है |   ब्रह्म निराकार, निर्गुण हैं – दिखेंगे क्या ? ध्यान हमेशा चिंतन के द्वारा होता है – कर्मों की […]


ध्यान क्यों भटक जाता है ?

हम सड़क पर जा रहे हों और अचानक हमें अर्धनग्न अवस्था में एक बहुत ही सुन्दर हेरोइन/ स्त्री दिखे तो हमारा ध्यान नहीं भटकेगा ? अगर हम स्वामी विवेकानन्द या महर्षि रमण जैसे व्यक्तित्व के धनी हैं तो कभी नहीं लेकिन आम आदमी की क्या बिसात ? इसीलिए अध्यात्म में पांचों इन्द्रियों पर संपूर्ण कंट्रोल स्थापित करने की बात कही […]