जिस साधक को ध्यान शब्द का मतलब समझ आ जाए, यह तय है वह इसी जन्म में रामकृष्ण परमहंस बनने में कामयाब हो जाएगा | रामकृष्ण परमहंस अपना शरीर १८८६ में त्याग कर चले गए, उसके बाद महर्षि रमण १९५० में चले गए, लगभग १५० साल गुजर गए, दूसरा रामकृष्ण परमहंस या महर्षि रमण कहां है ? स्वामी विवेकानंद ने भी कहा था आत्मज्ञान अगले जन्म में प्राप्त कर लूंगा, वह भी कहां हैं ?
ध्यान वो नहीं जो हम आज तक समझते आए हैं | शुद्ध ध्यान का मतलब है अपने अंदर आते हुए हजारों लाखों प्रश्नों का उत्तर ढूंढना और उन्हें जड़ से खत्म करना | जिस दिन हमारे अंदर से आखिरी प्रश्न खत्म हो जायेगा हम निर्विकल्प समाधि की अवस्था में आ जाएंगे | इस अवस्था में न एक प्रश्न अंदर आएगा न अंदर से बाहर जायेगा |
ध्यान हमेशा चिंतन के माध्यम से किया जाता है जिसे english में contemplation कहते हैं | अगर हम ब्रह्म से साक्षात्कार करना चाहते हैं तो हमें ध्यान के अलावा १२ साल की ब्रह्मचर्य की तपस्या भी करनी होगी |
Dhyan kaise karein | ध्यान करने की सही विधि | Vijay Kumar Atma Jnani