मुझे माउंट एवरेस्ट पर चढ़ना है, कोई सरल उपाय बताओ – गांव का चौधरी जो पीछे खड़ा था बोला, गांव के पीछे जो टीला है उस पे चढ़ जा, हो गया माउंट एवरेस्ट |
जिस विधि को पूर्ण करने के लिए ब्रह्म (विधाता) ने 1 करोड़ वर्ष की अवधि दी है (11 लाख योनियों का फेर) उसे हम शीघ्रातिशीघ्र कैसे प्राप्त कर सकते हैं ? सही ध्यान की विधि जिसको आ गई वह महावीर या बुद्ध की तरह 12 वर्ष की तपस्या के द्वारा मोक्ष लेकर हमेशा के लिए जन्म और मृत्यु के बंधन से मुक्त हो जाएगा |
अखंड ब्रह्मचर्य और अखंड ध्यान की तपस्या साथ साथ की जाती है जैसे महावीर ने 12 वर्ष एक टीले के ऊपर खड़े होकर की और सिद्धार्थ गौतम ने बोधी वृक्ष के नीचे बैठकर | कर्मों की पूर्ण निर्जरा करने के लिए हमें 12 वर्ष की तपस्या में उतरना ही होगा |
ध्यान चिंतन के माध्यम से किया जाता है | अपने अंदर उमड़ते विचारों, प्रश्नों के उत्तर ढूंढने होंगे और सारे प्रश्न जड़ से खत्म करने होंगे | इस विधि में गुरु का कोई काम नहीं | ग्यारहवें वर्ष में महर्षि विश्वामित्र की नजर मेनका पर पड़ी, मन में कुछ विचार आया और ब्रह्मचर्य टूट गया | 11 वर्ष की प्रैक्टिस बेकार, फिर दोबारा से 12 वर्ष के ब्रह्मचर्य में उतरना होगा |
12 वर्ष तक एक भी नेगेटिव विचार हमारे अंदर न आए – इसे कहते है 12 वर्ष की अखंड ब्रह्मचर्य की तपस्या | एक भी negative विचार आते ही ब्रह्मचर्य टूट जाएगा | फिर से 12 वर्ष की तपस्या में जाना होगा |
महर्षि रमण, जो आखिरी तत्वज्ञानी थे धरती पर वह 1950 में शरीर त्याग गए | अगर 800 करोड़ लोगों में कोई भी साधक ध्यान करना जानता है तो महर्षि रमण को गए 74 वर्ष हो गए, अभी तक किसी को तत्वज्ञान क्यों नहीं हुआ ?
800 करोड़ लोगों में एक भी साधक को ध्यान करना नहीं आता | जिस दिन किसी भी साधक को ध्यान में उतरना आ जाएगा, नए तत्वज्ञानी के आने की खबर आग की तरह फ़ैल जाएगी |
Dhyan kaise karein | ध्यान करने की सही विधि | Vijay Kumar Atma Jnani