हम सड़क पर जा रहे हों और अचानक हमें अर्धनग्न अवस्था में एक बहुत ही सुन्दर हेरोइन/ स्त्री दिखे तो हमारा ध्यान नहीं भटकेगा ? अगर हम स्वामी विवेकानन्द या महर्षि रमण जैसे व्यक्तित्व के धनी हैं तो कभी नहीं लेकिन आम आदमी की क्या बिसात ? इसीलिए अध्यात्म में पांचों इन्द्रियों पर संपूर्ण कंट्रोल स्थापित करने की बात कही गई है |
ध्यान की इस भटकन पर पूर्ण कंट्रोल स्थापित करने के लिए ब्रह्म ने 11 लाख योनियों का लंबा सफर दिया है | यह हम पर निर्भर है हम अध्यात्म का सफर इसी जन्म में शुरू और खत्म करते हैं या आगे की योनियों के लिए छोड़ देंगे ?
हर समय हजारों विचार जहन में आते हैं तो ध्यान तो भटकेगा ही | ध्यान में चिंतन के माध्यम से उतरकर हमें इन्हीं अंदर आते विचारों को जड़ से खत्म करना होता है | इसीलिए ब्रह्म ने 12 वर्ष की गहन तपस्या का प्रावधान किया | जो साधक 12 वर्ष की साधना महावीर और बुद्ध की तरह पूरी कर लेता है वह अंततः सम्पूर्ण कर्मों की निर्जरा करने में सफल होता है और मोक्ष पा जाता है |
12 years Tapasya | 12 साल की घोर तपस्या का सच | Vijay Kumar Atma Jnani