ध्यान में कभी ऐसा क्यूं लगता है कि कोई पास बैठ कर छू रहा है ?


ध्यान में जब हम पूरी तरह डूब जाते हैं तो अपनी आत्मा और प्रभु ब्रह्म के बेहद नजदीक होते हैं | हमें जो छूने की कोशिश कर रहा है वह और कोई नहीं बल्कि हमारी अपनी आत्मा है जो हमसे कुछ कहना चाहती है | सत्य के मार्ग पर चलते हुए मैंने अपनी आत्मा की आवाज को कभी अनसुना नहीं किया | हर संभव प्रयास किया और समझने की कोशिश की वह क्या कहना चाहती है |

 

आखिरकार यह शरीर उसी ने धारण किया है | हमारी असली मालिक तो वह ही है |

 

Listen to Inner Voice coming from within our Heart | हृदय से आती आवाज को सुनना सीखें | Vijay Kumar

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