कर्मों से मुक्ति का एक ही रास्ता है – कर्म को निष्काम भाव से करना | जब हम कर्म निष्काम भाव से करते हैं तो कर्म हमें बांधते नहीं और कर्मों की निर्जरा, कर्मों का क्षय होने लगता है | धीरे धीरे सारे कर्म जड़ से खत्म होते चले जाते हैं | नए कर्म बंधते नहीं, पुरानो का क्षय होता रहता है और एक दिन वह स्थिति आ जाती है जब हम निर्विकल्प समाधि में स्थापित हो जाते हैं |
निष्काम क्या होता है ? भगवद गीता में कृष्ण कहते हैं – यह शरीर आत्मा ने धारण किया है | जो कर्म मनुष्य करता है उसका फल मनुष्य का कैसे हुआ, वह तो आत्मा का हुआ | जब साधक इस भाव से कर्म करता है कि सभी कर्मफल आत्मा को अर्पित हैं, तो कोई भी कर्म का बंध नहीं बनता और कर्मों की क्षय होनी शुरू हो जाती है |
Nishkama Karma Yoga | निष्काम कर्म योग का महत्व | Vijay Kumar Atma Jnani