ब्रह्म तो एक ही हैं – ब्रह्मा, विष्णु और महेश (शिव) उनकी विभूतियां हैं | ब्रह्मा को ब्रह्म का क्रिएटिव रूप मानते हैं, जिसने संसार रचा | हमारे रचने में ब्रह्मा का हाथ है – ऐसा माना जाता है | अब क्योंकि हम पैदा हो जाते हैं, इस धरती पर उत्पन्न हो जाते हैं तो ब्रह्मा की पूजा करके हमें मिलेगा क्या ?
पूजा लोग या तो भय/ डर से करते हैं या कुछ मिलने की उम्मीद से |ब्रह्मा से किसी प्रकार का भय/ डर नहीं, न ही कुछ मिलने की उम्मीद है – तो पूजा/ मंदिर की क्या जरूरत ?
विष्णु तो सृष्टि को चलाते हैं – उनसे भय/ डर दोनों हैं, कहीं कोई अहित न हो जाए इसलिए विष्णु की सर्वत्र पूजा होती है – तो मंदिर भी चाहिए | शिवजी के हाथ में तो मृत्यु है – इसलिए सबसे ज्यादा शिवजी के मंदिर | अगर इंसान को भगवान से डर न होता तो शायद पूरे विश्व में एक भी मंदिर न होता | इंसान की मैं (अहंकार) उसे पूजा करने से रोकती |
जिस भगवान की विभूति के हाथ में कोई पॉवर नहीं – उसकी पूजा क्यों करनी क्योंकि वह हमारा कुछ बिगाड़ नहीं सकती | ब्रह्मा उन्हीं में से एक हैं |
Is it necessary to go to temple to Realize God | भगवान की प्राप्ति के लिए क्या मंदिर जाना आवश्यक है