ईश्वर, भगवान या कहो परमात्मा, ब्रह्म जिसने पूरा ब्रह्माण्ड रचाया, वह है तो एक ही | कैसे ? हम उस अवस्था में चलते हैं जब पुराना ब्रह्माण्ड सिमट रहा है यानि प्रलय हो गई है | तो कुछ ही समय में पूरा ब्रह्माण्ड सिमट कर अस्थ अंगुष्ठ (यानि आधे अंगूठे के आकार में) आ जाता है |
यह आधा अंगूठा है क्या ? पहचाना नहीं, अरे अज्ञानी मनुष्य… मैं ही तो वह हूं जिसे तुम परमात्मा, भगवान कहते हो | अरे ! आप आखिर हो कौन? मैं पूरे ब्रह्माण्ड में जितनी भी आत्माएं हैं उनका गुच्छा हूं | पूरे ब्रह्माण्ड की सारी आत्माएं ८४ लाखवी योनि में पहुंचकर जब शुद्ध अवस्था में आती हैं तो मिलकर सिर्फ आधे अंगूठे का आकार लेती हैं |
यह शक्ति पुंज इतनी विराट शक्ति के साथ इस तरह ज्यादा देर रह नहीं सकता तो मैं ब्रह्म फिर Big Bang यानी एक विशालकाय बम की तरह फटता हूं और नया ब्रह्मांड उत्पन्न करता हूं | और सारी आत्माएं फिर पूरे ब्रह्मांड में बिखर जाती हैं | उपनिषदों में ब्रह्म की उत्पत्ति का वर्णन स्पष्ट है |
Who created God? भगवान को किसने बनाया | Vijay Kumar Atma Jnani