भारतीय दर्शन शास्त्रों जैसे वेद, उपनिषद और भगवद गीता के अनुसार ब्रह्मांड की रचना ब्रह्म के द्वारा हुई | जब ब्रह्मांड उत्पन्न होता है तो ब्रह्म के अलावा ब्रह्मांड में और कोई नहीं था | अगर हम पिछले ब्रह्मांड के समय हुई प्रलय की गतिविधि को देखेंगे तो सब समझ आयेगा |
भगवद गीता में भगवान कृष्ण कहते हैं कि दूसरे सभी भगवानों को अर्पित की हुई पूजा इत्यादि का फल अंततः मुझ तक ही पहुंचेगा तो सीधे सब कुछ अर्पण directly मुझे ही करो | यह बात साफ तौर पर प्रतिपादित करती है कि भगवान तो एक ही हैं, ब्रह्म |
आज के समय में हमें एक ब्रह्म को ही मूल मानकर भगवान को प्राप्त करने की चेष्टा करनी चाहिए | जब हम ध्यान में चिंतन के माध्यम से उतरेंगे तो संभव है हम एक दिन ब्रह्म तक पहुंच ही जाएं और रामकृष्ण परमहंस बन जन्म मरण के चक्र से हमेशा के लिए मुक्त हो जाएं |
What is a Pralaya in Hinduism? हिन्दू धर्म में प्रलय क्या होती है | Vijay Kumar Atma Jnani