जब से हम पैदा होते हैं, ब्रह्म हमारे पीछे पड़े रहते हैं – चिल्ला चिल्ला कर कहते रहते हैं लेकिन सुने कौन ? ब्रह्म directly तो contact नहीं करते, हृदय में स्थित आत्मा के द्वारा हमें message देते रहते हैं कि हम अध्यात्म की राह पकड़ जल्दी से जल्दी जन्म मृत्यु के चक्रव्यूह से free हो जाएं |
लेकिन हम अपनी मैं के आगे हृदय से आती उस आवाज को अनसुना कर देते हैं | धीरे धीरे वह आवाज क्षीण पड़ती जाती है और अंततः पूरी तरह दब जाती है | मैं 5 वर्ष की आयु से हृदय से आती इस आवाज़ को साफ सुनता आया हूं | एक बार भी अपनी मैं को इस आवाज़ पर हावी होने नहीं दिया |
सच्चा साधक वहीं है जो ब्रह्म द्वारा प्रेषित और हृदय से आती इस आवाज़ को सुन अध्यात्म में दिन दूनी रात चौगुनी उन्नति कर सके | आज अगर आप इस आवाज़ को सुन नहीं पाते हैं तो साफ है कि आप असत्य के मार्ग पर चल रहे हैं | इस आवाज़ को सुनने के लिए सत्यवादी बनना ही होगा – पूर्ण सत्यवादी – कोई चारा नहीं |
आध्यात्मिक सफर में मैं 5 वर्ष की आयु से एक भी झूठ नहीं बोल पाया हूं | शायद पिछले जन्म के कर्म रहे होंगे | आप अगर हृदय से आती आवाज़ सुनना चाहते हैं तो सत्य की राह पकड़े – आध्यात्मिक सफर आसान हो जाएगा |
Listen to Inner Voice coming from within our Heart | हृदय से आती आवाज को सुनना सीखें | Vijay Kumar