क्या जिन असली में होते हैं ?


जैन धर्म में जिन उसे कहा जाता है जिसने खुद को जीत लिया है | जिन यानि एक तपस्वी जो अपनी आध्यात्मिक journey पूरी कर एक तत्वज्ञानी बन चुका है | यह हम सभी जानते हैं कि ब्रह्म से साक्षात्कार होते ही काफी सिद्धियों के हम मालिक हो जाते हैं | बस इस तत्वज्ञानी को जिन इसीलिए कहा जाता है क्योंकि अपनी इच्छाशक्ति से वह अपनी जरूरतें पूरी कर सकता है |

 

जिन का मतलब हुआ आत्मा अपने शुद्ध रूप में वापस आ चुकी है | इसीलिए देवी देवताओं के 4 हाथ, 4 पैर दिखाएं जाते हैं – 2 शरीर के और 2 आत्मा के |

 

जिन एक symbolic तरीक़ा है उन लोगों को address करने का जो अध्यात्म की आखिरी सीढ़ी लांघ 84 लाखवी योनि में पहुंच चुके हैं | महावीर, बुद्ध, आदि शंकराचार्य, रामकृष्ण परमहंस और महर्षि रमण सभी जिन बन कर मोक्ष पा गए |

 

जिन यानि ऐसा आध्यात्मिक साधक जिसके पास अब अपनी आत्मा की भी ताकत मौजूद है | (2+2=4)

 

What is the main Purpose of Life? मानव जीवन का मकसद | Vijay Kumar Atma Jnani

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