जितेंद्रिय वह कहलाता है जिसने सभी इन्द्रियों पर जीत हासिल कर ली | भगवद गीता में कृष्ण कहते है जब इन्द्रियों पर जीत हासिल कर लोगे तो मन पर जीत automatically हो जाएगी | मन की जीत के ऊपर कुछ नहीं | मन के ऊपर जीत से आशय है कि विचारों पर कंट्रोल स्थापित हो गया | ऐसा होने पर साधक अपने अंदर आते, बाहर जाते विचारों को रोक सकता है |
नतीजा क्या होगा – निर्विकल्प समाधि की अवस्था आ जाएगी – विचार शून्यता | यह आखिरी अवस्था है जिसके पश्चात साधक कैवल्य ज्ञानी हो जाता है | तत्वज्ञान प्राप्त होते ही आत्मा की शुद्ध अवस्था आ जाती है यानि 84 लाखवी योनि | जब यह कैवल्य ज्ञानी शरीर छोड़ेगा मोक्ष प्राप्त कर लेगा, जन्म और मृत्यु के चक्र से हमेशा के लिए मुक्ति |
जैन धर्म में जितेंद्रिय को जिन कहा जाता है, यानी जिसने अपने ऊपर जीत हासिल कर ली, पहले मन पर कंट्रोल स्थापित किया और फिर पूर्ण ज्ञाता बन गया, यानी कैवल्य ज्ञानी हो गया |
मैं जैन हूं लेकिन भारतीय दर्शन को मूल क्यों मानता हूं | Vijay Kumar Atma Jnani