जैन धर्म के पहले तीर्थंकर ऋषभदेव के समय मनुष्यता धीरे धीरे आगे बढ़ रही थी | पहले कुलकर आए जिन्होंने कृषि करना सीखा और सिखाया | तीर्थंकर ऋषभदेव को केवल्य ज्ञान तो प्राप्त हो गया लेकिन कोई भी जैन साधक उनकी वाणी को समझ नहीं सका | 23 तीर्थंकरों तक यही अवस्था रही | तीर्थंकर महावीर के आते ही उनकी वाणी धीरे धीरे गौतम गणधर के द्वारा जन मानुष तक फैलने लगी |
आज के समय में महावीर को जानकर समझकर हम खुद महावीर बनने की कोशिश कर सकते हैं | भारतीय दर्शन कहता है १०० से १५० वर्षों में सिर्फ एक साधक को मोक्ष द्वार तक पहुंचने का मौका मिलता है | मेरा खुद का मानना है कि कलियुग में सिर्फ भगवद गीता में कृष्ण द्वारा बताए मार्ग पर चलकर मोक्ष पाया जा सकता है |
महावीर के बाद जैन धर्म में किसी भी साधक को कैवल्य ज्ञान प्राप्त नहीं हुआ | लेकिन हिन्दू धर्म में आदि शंकराचार्य, रामकृष्ण परमहंस व महर्षि रमण आदि को कैवल्य ज्ञान और फिर मोक्ष प्राप्त हुआ |
मैं जैन हूं लेकिन भारतीय दर्शन को मूल क्यों मानता हूं | Vijay Kumar Atma Jnani