आत्मज्ञान अर्थात आपने खुद को जान लिया या कहें, कर्मों की पूर्ण निर्जरा कर आप अपने पुराने शाश्वत शुद्ध रूप में आ गए | बिना शुद्ध हुए आत्मज्ञान नहीं हो सकता | बिना कुण्डलिनी जागृत हुए, बिना सहस्त्रार खुले आपका brain 100% active हो ही नही सकता | जब आत्मा शुद्ध रूप में वापस आ गई तब उसे मनुष्य शरीर धारण करने की आवश्यकता ही कहां रही ?
जिस दिन तत्वज्ञानी शरीर त्यागता है, मृत्यु को प्राप्त होता है, उस अवस्था को मोक्ष, मुक्ति कहते हैं – यानि जन्म और मृत्यु के चक्रव्यूह से हमेशा के लिए मुक्ति |
What is Moksha in simple terms? मोक्ष क्या है? Vijay Kumar Atma Jnani