पूरी धरती पर किसी भी इंसान को, चाहे वह किसी भी धर्म, मत या संप्रदाय का हो – जन्म और मृत्यु के चक्रव्यूह से छुटकारा पाने के लिए अध्यात्म के सफर पर जाना होगा और 12 वर्षों की ध्यान और ब्रह्मचर्य की तपस्या पूरी करनी होगी | तभी साधक की कुण्डलिनी पूर्ण जागृत होगी, सातों चक्र खुलेंगे, सहस्त्रार खुलेगा और वह अंततः तत्वज्ञानी हो जाएगा |
यह 12 वर्ष की तपस्या वहीं है जो महावीर ने टीले के ऊपर खड़े होकर पूरी की और बुद्ध ने बोधि वृक्ष के नीचे | बिना 12 वर्ष की तपस्या पूरी किए किसी भी साधक को जन्म मरण के चक्र से मुक्ति मिल ही नहीं सकती | एक शुद्ध आत्मा होने के लिए ब्रह्म ने 12 वर्ष की साधना का प्रावधान नीमित्त कर रखा है | अध्यात्म के क्षेत्र में कोई shortcut नहीं |
12 years Tapasya | 12 साल की घोर तपस्या का सच | Vijay Kumar Atma Jnani