जब मृत्यु का समय नजदीक हो तो मेरा मानना है कि पहली प्राथमिकता मरीज़ की इच्छा की होती है, वह समय कहां व्यतीत करना चाहता है, अपनों के बीच या hospital supervision में | दूसरी इच्छा उन की जो अपने हैं, अपना परिवार |
जाना तो है ही एक दिन – शाश्वत नियम है – जबरदस्ती करना ठीक नहीं | सब कुछ रजामंदी से होना चाहिए |
आखिरी समय में प्रभु की कृपा को जरूर याद करना चाहिए |
How do you express Gratitude in words to God? भगवान की कृपा के प्रति कृतज्ञता | Vijay Kumar