जब आत्मा शुद्ध हो गई तो उसे धरती पर शरीर धारण करने की आवश्यकता कहां रह गई ? मोक्ष प्राप्त होने के बाद मुक्त शुद्ध आत्मा प्रलय होने तक ब्रह्मलीन रहती है | जैसी ही प्रलय की अवधि खत्म, ब्रह्म फिर big bang के द्वारा प्रस्फुटित होते हैं और सारी आत्माएं पूरे ब्रह्मांड में व्याप्त हो जाती हैं 84 लाख योनियों के सफर के लिए |
मोक्ष आत्मा की एक अवस्था है जब वह अपने शुद्ध रूप में ब्रह्म में लीन है | विष्णु अपनी शेषनाग की शैया पर तब तक विराजते हैं जब तक प्रलय नहीं होती | प्रलय होते ही पूरा ब्रह्मांड आधे अंगूठे के आकार में सिमट जाता है | उसके बाद नए ब्रह्मांड का उदय |
मोक्ष की प्राप्ति होती ही तब है जब हम 84 लाखवी योनि में स्थापित हो जाते हैं | अगर हम प्रलय की प्रक्रिया को अध्यात्म की दृष्टि से समझेंगे तो पूरे ब्रह्मांड की उत्पत्ति और समाप्ति – दोनों समझ में आती हैं | आध्यात्मिक सफर में प्रलय की क्रिया को समझना बेहद जरूरी है – तभी हम भिन्न भिन्न क्रियाओं में सामंजस्य बिठा पाएंगे |
What is a Pralaya in Hinduism? हिन्दू धर्म में प्रलय क्या होती है | Vijay Kumar Atma Jnani