अगर हम मंत्र शब्द का मतलब समझने की कोशिश करें तो अहसास होगा कि किसी भी चीज़ को बार बार कहने, सुनने से अंततः हम उसके भीतर छिपे मर्म तक पहुंच ही जाते हैं | किसी भी आध्यात्मिक शब्दावली को उसके अर्थ के साथ समझ कर जब हम मनन करते हैं, तो इसी को मंत्र कहते हैं |
तो हरे रामा हरे कृष्णा बार बार कहने से हम क्या हांसिल कर लेंगे ? अध्यात्म का सत तो इस बात में छिपा है कि हम अपने अंदर आते हर विचार को जड़ से नष्ट कर दें और शनै शनै निर्विकल्प समाधि की स्थिति में पहुंच जाएं |
जब तक हमारे अंदर निहित कर्मों की पूर्ण निर्जरा नहीं होगी, हमें आत्मज्ञान, तत्वज्ञान प्राप्त नहीं होगा | और यह संभव हो पाता है जब हम हर कर्म निष्काम भाव से करते हैं | ऐसा करने से कर्म हमें बांधते नहीं और कर्मों की निर्जरा शुरू हो जाती है |
आध्यात्मिक सफर में मुख्यत ब्रह्मचर्य मंत्र और प्रारब्ध कैसे काटा जाए, इन मंत्रों की गूढ़ आवश्यकता पड़ती है |
Nishkama Karma Yoga | निष्काम कर्म योग का महत्व | Vijay Kumar Atma Jnani