जब आत्मा जो एक चेतन तत्व है शरीर धारण करती है उसे जीव कहते है | अगर पशु योनि है तो शरीर पशु पक्षी का और मनुष्य योनि है तो हम मनुष्य पैदा होते हैं | आत्मा शाश्वत है ब्रह्म का अंश है, अनादि है | आत्मा स्वयं दृष्टा की भांति काम करती है तो शुद्धि प्राप्त करने के लिए, कर्म करने के लिए जीव का रूप धारण करती है |
आध्यात्मिक पथ लेकर जब साधक निर्विकल्प समाधि की अवस्था तक पहुंच जाता है, तो आत्मा का सफर हमेशा के लिए खत्म | एक शुद्ध आत्मा का मनुष्य शरीर धारण करने में अब कोई प्रयोजन नहीं रह जाता | जब यह निर्विकल्प समाधि की stage पर पहुंचा साधक शरीर त्यागेगा तो मोक्ष हो जाएगा, यानी जन्म और मृत्यु के प्रवाह से हमेशा के लिए मुक्ति |
What is Moksha in simple terms? मोक्ष क्या है? Vijay Kumar Atma Jnani