योग की परम अवस्था क्या होती है ?


योग की परम स्थिति होती है जब एक साधक आध्यामिक सफर में तत्वज्ञान प्राप्त कर जन्म और मृत्यु के चक्रव्यूह से हमेशा के लिए मुक्त हो, ८४ लाखवी योनि में पहुंच जाता है और अंततः भगवान का साक्षात्कार करने में सफल हो जाता है |

 

ब्रह्म से योग करने का मतलब भी यही होता है, आत्मा की परमात्मा से मिलन की चेष्टा | यह संभव हो पाता है जब साधक अपने अंदर निहित अज्ञान के अन्धकार को भगवद गीता और उपनिषदों में उपलब्ध ज्ञान के प्रकाश से हमेशा के लिए मिटा देता है |

 

What is Yoga and its benefits? योग का महत्व | Vijay Kumar… the Man who Realized God in 1993

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