वेद किस प्रकार जीवन संदेश देते हैं ?


राम के समय में वेद, लेकिन कृष्ण के भगवद गीता के संदेश के बाद किसी भी साधक को वेदों में उलझने की जरूरत नहीं | मनुष्य रूप में मोक्ष की प्राप्ति तक जिस ज्ञान की हमे जरूरत पड़ेगी वह गीता में उपलब्ध है | वेदों में, उपनिषदों में या भगवद गीता में वो क्या चीज़ है जिसको पाना हर साधक के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है |

 

भारतीय दर्शन के यह सभी शास्त्र हमे बताते हैं कि हम कौन हैं और हमारी मंज़िल क्या है | उस मंज़िल तक पहुंचने का रास्ता भी यह बताते हैं | लेकिन तत्वज्ञान हमेशा गूढ़ भाषा में होता है जिसके कारण कोई समझ नहीं पाता |

 

बस यही ब्रह्म की इच्छा है कि १०० ~ १५० सालों में १ ~ २ साधक ही इस भूलभूलैया को पार कर सकें | १८८६ में रामकृष्ण परमहंस चले गए और १९५० में महर्षि रमण | अब भारतवासी कल्कि अवतार के आने का इंतज़ार कर रहे हैं | मैं दृढ़तापूर्वक यह कह सकता हूं कि आज के समय में सिर्फ गीता ज्ञान और ९ principal उपनिषद काफी हैं भवसागर पार करने के लिए |

 

अर्जुन के रथ और सारथी कृष्ण का रहस्य | Vijay Kumar… the Man who Realized God in 1993 | Atma Jnani

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