श्रद्धा


श्रद्धा और आदर में क्या अंतर है ?

जिसे हम देख नहीं सकते, जो अदृश्य है जैसे भगवान – उस के प्रति हम श्रृद्धा रखते हैं | हम उसे जानते नहीं, कभी देखा नहीं, फिर भी उसके होने में पूर्ण विश्वास है – इसी को श्रृद्धा कहते हैं | वह है – यह मानकर उसे समर्पित रहते हैं, उसकी पूजा करते हैं |   आदर हम भौतिक जगत […]


अध्यात्म की दृष्टि से विश्वास और समर्पण में कौन भाव उच्च है ?

बिना पूर्ण समर्पण भाव के भगवान में आस्था पूर्ण नहीं होगी | अध्यात्म में अगर समर्पण पूर्ण नहीं है तो आप अध्यात्म में फेल हैं | कर्मों में निष्काम भाव से उतरने के लिए पूर्ण समर्पण चाहिए | जो लोग भक्तियोग में विश्वास रखते हैं, अगर उनमें पूर्ण समर्पण भाव नहीं होगा तो वांछित फल कैसे मिलेगा ?   समर्पण […]


श्रद्धा और विश्वास एक जैसे भाव लगते हैं फिर एक दूसरे से भिन्न कैसे हैं ?

श्रद्धा या कहें आस्था एक दिन में नहीं आती/ बनती | छोटे से बच्चे का मां के ऊपर विश्वास से कहीं ऊपर आस्था होती है | उसे पूर्ण विश्वास होता है कुछ भी हो जाए, कैसे भी आपदा आए, मां उसे बचा लेगी | यही एक सच्चे साधक का ब्रह्म में पूर्ण विश्वास (आस्था) होता है कि वे उसका साथ […]