श्रीमद्भगवद्गीता


गीता में किस बात का उपदेश दिया गया है ?

भगवद गीता में कृष्ण ने यह संदेश प्रतिपादित करने की कोशिश की है कि एक आम इंसान को जीवन कैसे जीना चाहिए | हमारा शरीर आत्मा ने धारण किया है स्वयं को शुद्ध करने के लिए | गीता के 700 श्लोकों का मर्म समझकर हम ब्रह्म का आत्मसाक्षात्कार कर सकते हैं | यही बात हमें समुद्र मंथन की गाथा भी […]


क्या श्रीमद्भगवद्गीता पढ़ने से सपनों में अक्सर आत्माएं आती हैं जो कुछ कहना चाहती हैं ?

जब भी हम आध्यात्मिक पुस्तकों शास्त्रों में रुचि लेते हैं तो हमारी अपनी आत्मा जिसने यह शरीर धारण किया है हमसे कहना चाहती है – अज्ञानी मूढ़ मत बन, अध्यात्म का रास्ता पकड़ कर कर्मों की निर्जरा कर, तभी मैं अपना शुद्ध रूप वापस प्राप्त कर पाऊंगी | जो सच को समझ कर सामना कर ले वह स्वामी विवेकानंद की […]


हरे कृष्ण हरि कथा क्या होती है श्रीमदभगवद्गीता महाभारत रामायण ?

अगर हम तत्त्व की खोज में हैं तो रास्ता भक्ति योग का नहीं बल्कि ज्ञान योग का लेना होगा | सिर्फ और सिर्फ भगवद गीता का ज्ञान काफी है |   What is meant by Jnana Yoga? ज्ञान योग से क्या अभिप्राय है? Vijay Kumar Atma Jnani


गीता को पढ़ना चाहिए या जो गीता में बताया है उसके अनुसार चलना चाहिए ?

क्या गीता पढ़ी जा सकती है ? मुझे कितनी ही email आती हैं कि गीता कई बार पढ़ ली लेकिन समझ कुछ नहीं आया |   अगर हमारा जीवन का लक्ष्य आध्यात्मिक उन्नति है तो हमे ध्यान करना चाहिए चिंतन के द्वारा | ध्यान की प्रक्रिया में जब हम गीता के श्लोकों में निहित ज्ञान को जानने की कोशिश करेंगे […]


मुझे कौन सी भगवद गीता पढ़नी चाहिए ?

अगर हम इस जीवन में अध्यात्म के रास्ते पर आगे बढ़ना चाहते हैं तो हमें सत्य का मार्ग लेना होगा | झूठ का सहारा लेकर हम आध्यात्मिक उन्नति की उम्मीद नहीं रख सकते | आखिरी तत्वज्ञानी इस धरती पर महर्षि रमण थे जो १९५० में अपना शरीर त्याग गए | उसके बाद कोई तत्वज्ञानी धरती पर मौजूद नहीं | क्यों […]


श्रीमद्भगवद्गीता गीता का अध्ययन के लिए कोई अच्छी विधि है ? मैंने इसे पढ़ने समझने की कई बार कोशिश की लेकिन असफल रहा

अगर आप सत्य (सिर्फ सच नहीं) के रास्ते पर चलने के लिए सक्षम हैं पूर्णतया 100%, तो आपको श्रीमद्भगवद्गीता के 700 श्लोकों को एक बार भी पढ़ने या समझने की जरूरत नहीं | मैंने 5 वर्ष की आयु में आध्यात्मिक सफर शुरू किया और 37 वर्ष की आयु में ब्रह्म से 2 1/2 घंटे का साक्षात्कार | इस बीच एक […]


कौनसी पब्लिकेशन की भगवद गीता पढ़नी चाहिए ?

अगर हम भारतीय दर्शन शास्त्रों जैसे श्रीमद्भगवद्गीता और principal उपनिषदों को पढ़ना और समझना चाहते हैं तो गीताप्रेस, गोरखपुर की निम्लिखित टीकाएं देखें –   1. श्रीमद्भगवद्गीता – पदच्छेद, अन्वय और साधारण भाषाटीकासहित (17) 2. ईशादि नौ उपनिषद् (66)   गीताप्रेस, गोरखपुर के अलावा किसी भी publication house से मुद्रित पुस्तकें खुद पढ़कर, सोच समझकर लें | वैसे ऊपर लिखी […]


गीता सार की प्रमुख शिक्षाएं कौन सी हैं ?

धरती पर आत्मा 84 लाख योनियों के चक्रव्यूह से गुजरती है | 73 लाख योनियां का लंबा सफर करके पहली बार मनुष्य का रूप धारण करती है | मनुष्य रूप में 11 लाख योनियां होती हैं | पहली योनि से आखिरी योनि तक, आत्मा का एक ही लक्ष्य है – जल्द से जल्द अपने शुद्ध रूप को वापस प्राप्त कर […]


भगवद गीता का सबसे महत्वपूर्ण उपदेश क्या है ?

भगवदगीता का सबसे महत्वपूर्ण संदेश है मोह कैसे कटे | अपने सगे संबंधियों का मोह, गुरु का मोह, नाना का मोह | मोह का कटना अध्यात्म की राह का आखिरी रोड़ा है | मोह खत्म और हमें तत्वज्ञानी बनने से कोई नहीं रोक सकता |   मोह की महत्ता इस बात से समझ आयेगी कि पूरे भारतवर्ष में अभी तक […]


जो ज्ञान कृष्ण ने अर्जुन को दिया वही भगवद गीता में लिखा है – क्या कोई कुरुक्षेत्र में नोट कर रहा था ?

प्रश्न क्या इशारा करता है ? कि कृष्ण और अर्जुन महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित महाकाव्य महाभारत के पात्र हैं | और महर्षि वेदव्यास को महाभारत महाकाव्य लिखने की जरूरत ही क्यों पड़ी ?   वेद आए लेकिन वेदों का संकलन इतना विस्तृत था कि आम इंसान तो क्या, पढ़े लिखे scholars भी वेदों में छिपे रहस्य तक पहुंचने में कठिनाई […]


भगवत गीता पढ़ने के बाद जिंदगी में क्या बदलाव आए हैं ?

यही तो जीवन का सबसे बड़ा आश्चर्य है जब लोग मुझसे पूछते हैं कि भगवद गीता कब पढ़ी | आपको कैसे मालूम ?   37 वर्ष की आयु में ब्रह्म का साक्षात्कार हुआ | तब तक मैंने gitapress की गीता जिसमें 700 मूल श्लोक के साथ टीका भी है नहीं देखी थी | हां घर में काफी gitapress की टीकाएं […]


भगवद गीता अनुसार प्रकृति माया और कर्म के बीच क्या संबंध है ?

जो दृष्टिगोचर है जो प्रकृति, सृष्टि की देन है वह जगत है | ब्रह्म ने खुद को big bang के द्वारा फोड़ा तो वर्तमान ब्रह्माण्ड, जगत अस्तित्व में आया | ब्रह्म है तो आत्माएं हैं, हम हैं |   मगर आदि शंकराचार्य के अद्वैत की दृष्टि से देखें तो पूरा जगत माया का खेल है | हम बॉम्बे फिल्म नगरी […]


भगवद गीता क्यों पढ़नी चाहिए – भगवद गीता पढ़ने के लाभ ?

आध्यात्मिक जीवन जीने के नाते धरती पर मैं किसी भी इंसान को भगवद गीता पढ़ने की सलाह नहीं दूंगा | अगर आपके जीवन का लक्ष्य आध्यात्मिक उन्नति नहीं, तो भगवद गीता में बिल्कुल न उलझें |   JRD Tata के बारे में आपकी क्या राय है ? क्या वे जीवन में failure थे ? JRD Tata से बेहतर कर्मयोगी आपको […]


भगवद गीता अनुसार तत्वदर्शी संत कौन होता है ?

तत्व से मतलब है अंदर छिपा मर्म, सत्य | सत्य हमेशा एक ही होगा | विषय कोई भी हो, परिस्थिति कैसी भी – सच सिर्फ एक होगा | अध्यात्म में तत्व से मतलब है अंदर छिपे आत्म तत्व तक पहुंचना |   जब प्रलय होती है तो पूरे ब्रह्माण्ड में क्या बचता है – सिर्फ ब्रह्म | और ये ब्रह्म […]


भगवद गीता में परम गोपनीय ज्ञान क्या है ?

भगवद गीता में परम तो छोड़िए गोपनीय ज्ञान कुछ भी नहीं – सब खुली किताब है | सब से छोटी टीका गीताप्रेस, गोरखपुर की Rs. 5/= में, जिसमें 700 मूल श्लोक हैं मिलती है | कितने लोग ज्ञान पा गए ? जो साधक सत्य का मार्ग पकड़ ले – गीता सार उसके सामने ख़ुद-ब-ख़ुद आ जाएगा | हम हृदय से […]


भगवद गीता में कृष्ण कहते हैं कर्म करो फल की चिंता मत करो लेकिन बिना फल आदमी कर्म क्यों करेगा ?

रोज़मर्रा की ज़िंदगी में बिना फल की इच्छा के कोई काम नहीं करता | लेकिन अध्यात्म में जब तक हम निष्काम कर्मयोग में नहीं उतरेंगे, कर्मों की निर्जरा नहीं होगी और आध्यात्मिक प्रगति शून्य रहेगी | अध्यात्म में हमें कर्मबंधन से बचना है – वह संभव होता है जब हम कर्म निष्काम भावना से करें |   अध्यात्म में फल […]


क्या गीता में भी मिलावट हुई है ?

भारतीय दर्शन शास्त्रों जैसे वेद, उपनिषद् और भगवद गीता – इन सभी में न तो आज और न आने वाले समय में किसी भी तरह की मिलावट की गुंजाइश है | वजह साफ है | जहां से सारे ब्रह्माण्ड का ज्ञान आता/ उत्पन्न होता है – एक तत्वदर्शी ऋषि सम्पूर्ण ज्ञान नष्ट होने की स्थिति में श्रुति द्वारा सारे ज्ञान […]


भगवद्गीता में भगवान का यह कहने का अर्थ क्या है कि आरम्भ में समस्त प्राणी अव्यक्त हैं बीच में व्यक्त रहते है और मरने के बाद अव्यक्त हो जाते हैं ?

भगवद गीता अनुसार हम मूलतः आत्मा हैं जिसने कर्म करने के लिए शरीर धारण किया है | तो व्यक्त होने से पूर्व आत्मा अव्यक्त ही तो थी | शरीर धारण करते ही वह व्यक्त हो जाती है और जिस दिन इंसान अध्यात्म की राह पर चलकर मुक्ति पा लेता है, वह फिर एक शुद्ध आत्मा बन अव्यक्त रूप धारण कर […]