सुखी जीवन यानि ज़रूरतमंद लोगों की मदद करना या अपने बारे में सोचना ?


सुखी जीवन के मायने क्या हैं यह महावीर से बेहतर कोई नहीं जानता | महावीर कहा करते थे – प्रवचन बाद में देना पहले कैवल्य ज्ञान तो प्राप्त कर लो | आज 800 करोड़ लोगों में एक भी कैवल्य ज्ञानी नहीं लेकिन ज्ञान बाटने वाले लाखों नहीं करोड़ों |

 

इस बात का मतलब क्या हुआ – जरूरतमंद लोगों की मदद से पहले खुद की मदद तो कर लो | खुशी से क्या होगा अगर जीवन आनंदित नहीं हुआ ? सम भाव से जीना सीखो, इससे तुम भी खुश, और भी खुश | सम भाव में जीते हुए अध्यात्म में उतरो और महर्षि रमण के लेवल पर पहुंचो | तभी खुद आनंदित होगे और दूसरो को भी अपने ज्ञान से आनंदित करोगे |

 

What was the role of Arjuna in Mahabharata? आज का अर्जुन कौन आध्यात्मिक परिवेश में | Vijay Kumar

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