एक तत्वज्ञानी की नजरों में पूरी दुनिया अज्ञानी है – अज्ञान की राह पर चलने वाली | चाहे कोई 10 लाख करोड़ की company का मालिक हो चाहे कोई गरीब, दोनों ही मृत्यु के बाद अगले जीवन में फिर से nursery से जीवन की शुरुआत करेंगे | इस जीवन के कमाए 10 लाख करोड़ गए पानी में |
अध्यात्म कहता है पुण्य कर्म करो, वो भी निष्काम भावना से | ऐसा करने से कर्म हमें बांधेंगे नहीं और कर्मों की निर्जरा शुरू हो जाएगी | मृत्यु के बाद सिर्फ और सिर्फ कर्मफल ही अगले जन्म में जाएंगे | जब इस शाश्वत सच को सभी जानते हैं, तब भी अध्यात्म की ओर नहीं मुड़ेंगे | ऐसे में कोई महर्षि रमण जैसा तत्वज्ञानी भी स्थिति सुधार नहीं सकता |
What was the role of Arjuna in Mahabharata? आज का अर्जुन कौन आध्यात्मिक परिवेश में | Vijay Kumar