अध्यात्म की शुरुआत की नहीं जाती, यह हमेशा स्वतः होती है | जब इंसान सत्यमर्ग पर चलने लगे, जब हम चिंतन करना सीख जाएं, जब हमारा सभी जीवों पर प्यार उमड़े, जब हमारे अंदर विभिन्न प्रकार के आध्यात्मिक प्रश्न हिलोरे मारने लगें, जब हमें लगने लगे हम हम नहीं, इससे भी आगे कुछ और है – तो समझिए अध्यात्म की शुरआत हो गई | जब अनायास ही प्रभु की ज्यादा याद आने लगे – तो समझ लीजिए कि ब्रह्म हमसे संपर्क स्थापित करना चाहते हैं |
हम मूलतः एक आत्मा हैं लेकिन यह अहसास हमें कभी होता नहीं | होगा भी कैसे – जब हमने झूठ की काफी परतें ओढ़ रक्खीं हैं ? जिस दिन हम सच्चाई का रास्ता पकड़ेंगे – तभी से हमारा अध्यात्मिक रास्ता प्रखर हो जाएगा – यानि हृदय से आती आत्मा की आवाज अब हमे साफ सुनाई देगी | अध्यात्मिक सफर करने के लिए हृदय से आती आत्मा की आवाज को सुनना बेहद जरूरी है | यह आत्मा की आवाज ही हमे अध्यात्मिक सफर में हर पल guide करेगी |
गीताप्रेस गोरखपुर की भगवद गीता की टीकाओं में यह बात चित्रों के माध्यम से अच्छी प्रकार दर्शाई गई है कि हमारे चित्त में स्थित आत्मा ही भगवान कृष्ण हैं | हृदय से आती भगवान कृष्ण की आवाज़ 5 वर्ष की आयु में मुझे स्पष्ट सुनाई देती थी | यह आवाज कुछ कहने की कोशिश करती पर मैं अक्सर अनसुनी कर देता | कई बार डर भी लगता अंदर से ये कौन बोल रहा है | धीरे धीरे जब मैंने यह महसूस किया कि इस आवाज की कही हर बात सही होती है तो इस पर मेरा पूर्ण विश्वास जम गया |
दुनिया में कोई भी साधक अगर अध्यात्म में घुसना चाहता है तो सत्य का रास्ता पकड़ पहले हृदय से आती आत्मा की आवाज सुनना सीखे | अगर एक बार हमें भगवान कृष्ण की वाणी समझ आ गई तो समझो आध्यात्मिक नैया पार |
Listen to Inner Voice coming from within our Heart | हृदय से आती आवाज को सुनना सीखें | Vijay Kumar