Monthly Archives: February 2025


कैसे प्रमाणित हो कि परमात्मा सर्वत्र है ?

परमात्मा कौन हैं ये आध्यात्मिक दृष्टि से देखें | ब्रह्माण्ड में व्याप्त सभी आत्माएं प्रलय के बाद जब अपने शुद्ध रूप में आ जाती हैं तो अस्थ अंगुष्ठ का आकार लेती हैं – सरल शब्दों में कहें तो पूरा ब्रह्माण्ड सिमट कर आधे अंगूठे के आकार में आ जाता है | क्या है यह आधे अंगूठे का सच ?   […]


क्या भक्ति मार्ग से साक्षात्कार होते हैं ?

रामकृष्ण परमहंस भक्तिमार्ग के बहुत बड़े अनुयाई थे – Kali मां के अनन्य भक्त | उन्होंने भगवान तक पहुंचने के लिए भक्ति मार्ग चुना – कारण पहले उनके भाई मंदिर के पुजारी थे और फिर वह खुद | मां काली की भक्ति करते करते उन्हें अहसास हुआ कि भगवान तक भक्ति के रास्ते नहीं पहुंचा जा सकता | सो रामकृष्ण […]


मृत्यु के बाद आत्मा कहाँ जाती है ?

ब्रह्माण्ड में व्याप्त और सूर्य के गुरूत्वाकर्षण से बंधी सभी आत्माएं सूर्य के गर्भ में स्थित हैं और कहीं आती जाती नहीं | वहीं से वे धरती पर स्थित शरीर (जीव) को संचालित करती हैं |   धरती पर मां के गर्भ में जब शिशु आ जाता है तो सूर्य के गर्भ में स्थित आत्मा remote control से switch ON […]


क्या मृत्यु के बाद भी कोई और जीवन होता है ?

अगर हम आध्यात्मिक दृष्टि से देखें तो ब्रह्म की दृष्टि में मृत्यु नाम की क्रिया ब्रह्माण्ड में नहीं होती | मृत्यु शरीर की होती है आत्मा की नहीं | पहली योनि में आने के बाद आत्मा शरीर नष्ट होने पर नया शरीर धारण करती है और यह क्रम निर्बाध रूप से चलता रहता है | जीवन दर जीवन आत्मा पहले […]


क्या जीवन पूर्वजन्म का फल है ?

हर जीवन आत्मा से जुड़ा है | अगर आत्मा का 84 लाख योनियों में पहला जीवन है तो स्वरूप अमीबा का होगा (single cell formation) – अन्यथा कोई भी स्वरूप हो सकता है – कीट पतंगों का, पेड़ पौधों का, किसी पशु पक्षी का या मनुष्य शरीर |   मनुष्य जीवन पूर्वजन्म का ही फल है क्योंकि 11 लाख मनुष्य […]


क्या श्रीमद्भगवद्गीता पढ़ने से भगवान के बारे में सम्पूर्ण ज्ञान प्राप्त हो जाएगा ?

पठन पाठन, किताबी ज्ञान से हम आजीविका अर्जित करते हैं, अध्यात्म में पठन पाठन के अतिरिक्त चिंतन (contemplation) की आवश्यकता होती है जिसके द्वारा हम ब्रह्म तक पहुंच सकते हैं, उसमें विलय कर सकते हैं |   अध्यात्म में भगवान के बारे में संपूर्ण ज्ञान हासिल करने का कोई महत्व नहीं – भगवान को यूं ही नहीं जाना जा सकता […]


ध्यान करते समय क्या सोचना चाहिए ?

अध्यात्म में ध्यान में उतरने के लिए सोच कैसी होनी चाहिए – इसके बारे में विभिन्न मत सुनने और देखने में आते हैं | अक्सर यह भ्रांति फैलाई जाती है कि पद्मासन की मुद्रा में बैठकर अंधेरे कमरे में रखी मोमबत्ती की लौ पर अपना ध्यान केंद्रित करों | ऐसा करने से क्या होगा – यह कभी नहीं बताया जाता […]


मैं ध्यान करना चाहता हूँ – व्यस्त रहता हूँ – कैसे और कब ध्यान करूं ?

अध्यात्म में सही ध्यान लगाने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना बेहद आवश्यक है –   1.. मनुष्यों को ध्यान की जरूरत ही क्यों पड़ती है ? जब से आत्माएं ब्रह्म से दूर हुई – ब्रह्मांडीय सफर के कारण उनके अंदर अशुद्धियां भर गई | इन्हीं क्लेशों को खत्म करने के लिए साधकों को ध्यान में उतरना पड़ता है […]


जब भगवान् श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया तब समय रुक क्यों गया था ?

मानसिक तरंगे लाइट की स्पीड (1,86,000 मील प्रति सेकंड) से ज्यादा तीव्र गति से चलती हैं | हम समय को किस तराजू में तौलते हैं – light की स्पीड से | जब साधक अध्यात्म में साधना में उतरता है तो वह मानसिक तरंगों के सबसे ऊंचे आयाम पर स्थित होता है – एक ऐसा आयाम जहां समय वाकई रुक सा […]


आत्मज्ञान प्राप्त करने के कितने तरीके हैं ?

आत्मज्ञान, कैवल्यज्ञान, तत्वज्ञान और पूर्ण कुण्डलिनी जागरण व सहस्त्रार की स्थिति तक पहुंचने के लिए ब्रह्म द्वारा निर्देशित रास्ता एक ही है – अध्यात्म का | दुनिया में ज्यादातर साधक धार्मिक कर्मकांडो में उलझ अपना कीमती समय गवां देते हैं और पूरी जिंदगी विलाप करते रहते हैं कि उन्हें कुछ मिला ही नहीं | अगर मुंबई जाना हो और आप […]


आत्मज्ञान के मार्ग को कैसे खोजें ?

आत्मज्ञान यानि मनुष्य शरीर में रहते हुए अपने मूल स्वरूप को वापस प्राप्त कर लेना – एक शुद्ध आत्मा हो जाना | यह संभव हो पाता है जब मनुष्य अध्यात्म की राह पकड़ 12 वर्ष की अखंड तपस्या के बाद अंततः आत्मज्ञानी, तत्वज्ञानी बन जाता है | तत्वज्ञानी मतलब कुण्डलिनी का पूर्ण जागृत होना, सहस्त्रार पूरी तरह active हो जाना […]


अगर मनुष्य को अमरता मिल जाए तो जीवन का कोई अर्थ रहेगा क्या ?

अमरता भौतिक जीवन का नहीं बल्कि आत्मिक जीवन का एक अभिन्न अंग है | सनातन शास्त्र कहते हैं – आत्मा जब अपने शुद्ध रूप को वापस प्राप्त कर लेती है तो वह अमर हो जाती है और यह स्थिति कब आती है – जब साधक अध्यात्म की राह पकड़ तत्वज्ञानी बन जाता है यानि आत्मा के अंदर निहित क्लेशों से […]


क्या माता और पिता से ज्यादा प्यार और दुलार ईश्वर से मिल सकता है ?

प्यार और दुलार भौतिक क्रियाएं हैं – जो सिर्फ माता पिता ही दे सकते हैं | अगर हम सकारात्मक विचार से ओतप्रोत होकर प्रभु से कुछ मांगते हैं तो वह भी कभी कभी हमारी झोली में आ गिरता है | जब भी हम भगवान का नाम लेते हैं तो एक बात का ध्यान रखें – ब्रह्म उसी को देते हैं […]


विश्वामित्र वशिष्ठ इतना ध्यान व तप क्यों करते थे जब कि ध्यान समाधि जैसी अवस्था 45 मिनिट में पाई जा सकती है ?

यहां हमें कुछ आध्यात्मिक तथ्यों को भलीभांति समझना होगा –   1.. समाधि की अंतिम अवस्था निर्विकल्प समाधि कहलाती है | निर्विकल्प समाधि की स्थिति तक पहुंचने के लिए ब्रह्म ने मनुष्य रूप में 11 लाख योनियों का प्रावधान रक्खा है | निर्विकल्प समाधि में पहुंचने के बाद और कुछ प्राप्त करना शेष नहीं रहता | निर्विकल्प समाधि में स्थित […]


परमात्मा को पाना इतना कठिन क्यों है – परमात्मा का ध्यान कैसे करें ?

स्वयं को पाने के लिए खुद ब्रह्म ने 84 लाख योनियों का सफर निश्चित किया है तो परमात्मा जल्दी कैसे मिलेंगे ? ब्रह्म द्वारा सुनियोजित क्रम के अनुसार हर 100 ~ 150 वर्षों में 800 करोड़ लोगों में एक या 2 इंसानों को ब्रह्म साक्षात्कार का मौका मिलता है | पिछले 150 वर्षों में पहले रामकृष्ण परमहंस (1886) और फिर […]


हम अपनी लाइफ में कब सफल होंगे ?

जीवन में सफलता (आध्यात्मिक) पाने के लिए निम्नलिखित कर्म आवश्यक हैं –   1.. जीवन में इस बात का अहसास कि जीवन तो एक ही है | जीवन वाकई में एक है – कैसे ? सनातन शास्त्र कहते हैं मनुष्य रूप में 11 लाख योनियां हैं | अगर इस जन्म में नहीं तो अगले जन्म में पूरा कर लेंगे | […]


मौत वास्तव में क्या है ?

आत्माओं की दुनिया में एक योनि से दूसरी योनि में स्थांतरण को भूलोक में मृत्यु कहा गया है | हम एक कपड़ा पहनते हैं और जर्जर हो जाने पर उसे त्याग नया वस्त्र धारण करते हैं – बस इसी को मृत्यु कहा जाता है | जब शरीर जर्जर हो जाए तो आत्मा उसे त्याग नया शरीर धारण करती है – […]


इंसान की कीमत क्या है ?

इंसान की कीमत उतनी ही है जितनी उसकी सोच | अगर हमारी विचारधारा एक राजा तुल्य है तो हमें राजा बनने से कोई रोक नहीं सकता | अगर हमारे विचारों में पहले स्वामी विवेकानंद और फिर रामकृष्ण परमहंस बनने का सपना तैर रहा है तो संभव है हम इसी जन्म में रामकृष्ण परमहंस बन कर उभरें | अगर हमारा सपना […]


क्या आप परिणाम के बारे में न सोचते हुए अपने प्रयासों को मजबूती प्रदान करते हैं ?

कर्मफल तो वे मील के पत्थर हैं जो जीवन के सफर में कभी खुशी – कभी गम लेकर आते हैं | कर्म तो फलित होता रहता है लेकिन जीवन का लक्ष्य तो हमेशा एक ही रहेगा और वह भी अंतिम | जीवन कभी अंतरिम परिणामों के सहारे नहीं जीया जा सकता न जीना चाहिए | सारे कर्म हमेशा अंतिम लक्ष्य […]


क्या हमें उस पर भरोसा करना चाहिए जिसको हमने कभी देखा नहीं ?

सत्य को हाज़िर नाजिर जान हम हमेशा सही निष्कर्ष पर पहुंच सकते हैं | जो लोग भगवान पर भरोसा करते हैं उन्होंने भगवान को कभी देखा नहीं – फिर भी पूर्ण विश्वास है – कैसे ? हमने अपनी आत्मा को देखा नहीं – फिर भी अमूमन सभी भक्त आत्माओं के होने में विश्वास रखते हैं |   हृदय से आती […]


आप पैसे से कोई भी चीज खरीद सकते हैं – लेकिन अच्छे संस्कार माता-पिता से ही मिलते हैं |

भारतीय संदर्भ में संस्कार ऐसा शब्द है जिसका दुनिया में किसी और संस्कृति में समानांतर शब्द नहीं मिलता | यह संस्कार ही तो हैं जो भारतीय सभ्यता अभी तक विश्व की सर्वश्रेष्ठ सभ्यता है जिसे Deep State / US ने नेस्तनाबूद करने की कोशिश की और असफल हुए | भारत को नीचा दिखाने में पहले ब्रिटिश साम्राज्य और फिर US […]


हिंदू से क्या आशय है ?

हिन्दू यानी हिन्द महासागर से घिरे क्षेत्र में रहने वाले भरतवंशी जो मूलतः सनातन संस्कृति का पर्याय हैं | हर भारतीय मूलतः हिन्दू धर्म, सनातन मूल्यों का पालनहार है | हिन्दू यानि वेदों, उपनिषदों और भगवद गीता में पूर्ण श्रद्धा रखने वाला | हम गर्व से खुद को हिंदू एवम् भारतीय कहते हैं | सनातन धर्म धरती पर स्थापित पहला […]


क्या कर्म के द्वारा भाग्य को बदला जा सकता है ?

अगर मेरे भाग्य में रुपए 1 करोड़ मिलना लिखा है तो भी क्या मैं भाग्य को बदलना चाहूंगा ? शायद नहीं ! कर्म और भाग्य कैसे काम करते हैं हमें अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए – जीवन पर्यन्त बड़े काम आयेंगे |   मान ले हमारी एक दुकान है जिससे हमारा घर चलता है | अगर दुकान से profit […]


तीसरा नेत्र के खुलने का क्या मतलब हैं ?

दो नेत्र हमें साकार वस्तुओं से अवगत कराते हैं लेकिन उस साम्राज्य का क्या जो हमारे भीतर स्थित है – ब्रह्म का साम्राज्य जो इतना सूक्ष्म हैं कि उसे देखने के लिए दिव्य नेत्र चाहिए | हम भारतीय भलीभांति जानते हैं कि ब्रह्म ने मनुष्यों को कुछ ऐसी अद्वितीय शक्तियों से लैस कर रक्खा है जो हैं लेकिन हर समय […]


आत्मा का पुनर्जन्म कैसे होता हैं ?

वेदों में, उपनिषदों में और भगवद गीता में कहीं भी आत्मा के पुनर्जन्म का उल्लेख नहीं | आत्मा वह दिव्य स्वरूप, शक्ति, चेतना है जो हमेशा से सूर्य के गर्भ में स्थित है | एक आत्मा का ताप करोड़ों degrees centigrade होता है जिस कारण सूर्य के गर्भ में हजारों atomic explosions हर समय होते रहते हैं | अगर सूर्य […]


एकांतवास और ध्यान के लिए कौन सा आश्रम अच्छा है ?

आम मान्यता है – सही ध्यान के लिए एकांत जरूरी है | तभी तो हजारों वर्ष पहले ऋषि मुनि हिमालय की कंदराओं में जाकर समाधि अवस्था में लीन हो जाते थे | उस समय वह जरूरी था क्योंकि joint परिवार हुआ करते थे | ऐसे वातावरण में जहां जिम्मेदारियों का बोझ भी अकथित हो – योग करने की सोचना लगभग […]


आत्मा को कैसे देखा जा सकता है ?

आत्मा को देखना चाहते हो – क्या सूर्य के गर्भ में जा सकते हो जहां temperature करोड़ों degrees centigrade है ? धरती पर व्याप्त सभी जीवों की आत्माएं सूर्य के गर्भ में स्थित है और वहीं से remote control से जीव का संचालन करती हैं | हर आत्मा का खुद का normal temperature करोड़ों degrees centigrade है |   अगर […]


क्या जीव आत्मा और जीवात्मा एक ही हैं ?

ब्रह्माण्ड में आत्माएं हमेशा से स्थित हैं | जब एक आत्मा धरती पर शरीर धारण करती हैं – मनुष्य या किसी निचली योनि में तो उस उस नव निर्मित शरीर को जीव कहते हैं | में विजय कुमार भी एक जीव और गली में रह रहा कुत्ता भी एक जीव | हम दोनों के अंदर आत्मा विद्यमान है |   […]


अध्यात्म से हमें क्या मिलता है ?

हम मूलतः एक दिव्य शक्ति हैं – एक आकाशीय तत्व जिसे सनातन शास्त्र आत्मा के नाम से पुकारता है | जब से हम परम तत्व यानी ब्रह्म से अलग हुए, अशुद्धियां हमसे जुड़ती, लिपटती चली गईं | बस इन्हीं अशुद्धियां को दूर करने के लिए ब्रह्म ने 84 लाख योनियों का सफर रचा | हमने 73 लाख योनियां पार करने […]


परम तत्व क्या है ?

तत्वज्ञानी उसे कहते हैं जो आध्यात्मिक सफर के अंतिम पड़ाव पर पहुंच चुका है जैसे महर्षि रमण, रामकृष्ण परमहंस व आदि शंकराचार्य इत्यादि | जिसने तत्व को जान लिया, जिसने जीवन के सत्य को पहचान लिया कि वह एक शरीर नहीं बल्कि एक अविनाशी आत्मा है – वह तत्वज्ञानी आखिरकार उस परम तत्व को जान भी लेता है और उसका […]