Monthly Archives: May 2024


क्या स्वामी विवेकानंद एक कर्मयोगी थे ?

स्वामी विवेकानन्द एक उच्च कोटि के कर्मयोगी थे |कर्मयोगी यानि कर्म तो करते थे लेकिन निष्काम भावना से | आम साधक कर्मयोगी नहीं होता | जब साधक निष्काम कर्मयोग की क्रिया को समझ हर कार्य निष्काम भावना से करने लगता है तो वह सफल कर्मयोगी बन जाता है | निष्काम भावना यानि कर्म तो करेंगे लेकिन उसके फल के पीछे […]


क्या स्वामी विवेकानंद ब्रह्मचारी थे ?

स्वामी विवेकानंद सिर्फ अखंड ब्रह्मचारी ही नहीं थे वह बाल ब्रह्मचारी भी थे | जब तक जीवित रहे पूरी शिद्दत के साथ ब्रह्मचर्य physical व मानसिक, दोनों का पालन करते रहे | किसी भी विघ्न को आड़े नहीं आने दिया | वह बाल्यावस्था में ही जान गए थे कि कुण्डलिनी जागरण किए बिना आध्यात्मिक प्रगति संभव नहीं और पूर्ण कुण्डलिनी […]


स्वामी विवेकानंद ध्यान कैसे करते थे ?

स्वामी विवेकानंद ध्यान में चिंतन मनन के माध्यम से उतरते थे | उनकी ध्यान में रुचि बचपन से ही थी | धार्मिक कर्मकांडो से वह हमेशा दूर रहते थे – इसलिए ध्यान करना उनके लिए आसान था | सही चिंतन वही कर सकता है जो धार्मिक क्रियाकलापों जैसे पूजा, भजन कीर्तन इत्यादि से हमेशा दूर रहे | धार्मिक प्रपंचों में […]


चेहरे पर स्वामी विवेकानंद की तरह तेज कैसे लाएं ?

स्वामी विवेकानंद अखंड ब्रह्मचारी थे – अखंड यानि आजीवन ब्रह्मचर्य पालन का नियम | उनका ब्रह्मचर्य का नियम – दोनों physical ब्रह्मचर्य और मानसिक ब्रह्मचर्य पर लागू था जिसका वह कड़ाई से पालन किया करते थे | मूलाधार में इकट्ठा होते अमृत के कारण उनके चेहरे पर तेज हमेशा बना रहता था | स्वामी विवेकानंद एक अत्यंत गंभीर किस्म के […]


मन सत्संग में आने से क्यों भागता है ?

सत्संग सत्य के नजदीक आने का जरिया है जबकि मन इन्द्रियों पर आश्रित भोग विलास की ओर ले जाता है | सच्चा सत्संग वह होता है जहां एक जैसी आध्यात्मिक प्रवत्ति के 2 से ज्यादा लोग आपस में विचार विमर्श करते हैं और सही छिपे तत्व तक पहुंचने की कोशिश करते हैं | सत्संग कभी भी एक तरफा प्रवचन का […]


विभिन्न शास्त्रानुसार सत्संग का क्या महत्व है ?

सत्संग शब्द सिर्फ और सिर्फ भारतीय शास्त्रों तक निहित है | पाश्चात्य जगत या अन्य धर्मों में सत्संग का कोई महत्व नहीं | भारतीय दर्शन अनुसार सत्संग आध्यात्मिक जगत की ऐसी प्रणाली है जिसके अधीन होकर कुछ साधक आपस में बैठकर अध्यात्म के विभिन्न पहलुओं पर रोशनी डालते हैं और विषय के छिपे मर्म तक पहुंचने की कोशिश करते हैं […]


सत्संग में जाने से कैसे आध्यात्मिक लाभ होता है ?

जाने से नहीं, सत्संग में बैठने से अत्यंत आध्यात्मिक उन्नति संभव है | सत्संग यानि 2 से 6 लोगों के बीच विचारों का आदान प्रदान और अध्यात्म के विभिन्न पहलुओं पर गहन चर्चा, चिंतन एवं मंथन | सभी को मिलकर एक particular विषय के मर्म तक पहुंचना होता है – जितना जल्दी पहुंच जाएं | यह संभव हो पाता है […]


सत्संग कैसे प्रभावित करता है ?

अगर साधक एकांत में बैठकर चिंतन मनन करे तो कुछ गलत नहीं – लेकिन क्या एकांत में चिंतन मनन करना इतना आसान है ? इतिहास में महावीर 12 साल के चिंतन मनन में उतरे एक टीले पर खड़े होकर और यही काम सिद्धार्थ गौतम ने बोधि वृक्ष के नीचे बैठकर किया | जब एक आम इंसान पहली बार चिंतन में […]


सत्संग कैसे मन का मैला दूर करता है ?

हम मनुष्य आखिर कौन हैं ? हमारा अपना स्वतंत्र अस्तित्व तो है नहीं ! जब तक आत्मा ने शरीर धारण कर रखा है और दिल धड़क रहा है तो हम जीवित हैं लेकिन जिस दिन आत्मा ने शरीर त्याग दिया – खेल खत्म – हमारा अस्तित्व हमेशा हमेशा के लिए zero हो जाएगा | आत्मा ने अपने अंदर व्याप्त अशुद्धियों […]


सही रास्ता क्या है – बच्चे संभालें या आत्म कल्याण के लिए सत्संग में जाएँ ?

जीवन के हर पल इंसान दो जिंदगी जीता है | एक अपनी मैं पर आधारित भौतिक जिंदगी और बच्चों का पालन पोषण उसी का हिस्सा है | दूसरी अंदरूनी जिंदगी जो उसे ब्रह्म की ओर खींचती है और इस राह पर चलने के लिए अध्यात्म का सहारा लेना पड़ता है | सत्संग इसी आध्यात्मिक जीवन का part है | मैंने […]


सत्संग हृदय में सत् को दृढ़ कर असत् को कैसे मिटाता है ?

सत्संग में हमें क्या करना होता है ? मूलतः सत्संग धार्मिक और आध्यात्मिक लोगों की जागीर है – अध्यात्म की ज्यादा | सत्संग करने का मतलब हुआ जब आध्यात्मिक प्रवत्ति के कुछ साधक इकट्ठे होकर आपस में किसी भी आध्यात्मिक विषय पर गहन चिंतन करें | जब आपस में विचारों का आदान प्रदान होगा तो कुछ प्रश्नों का समाधान भी […]


सत्संग में सत् का अर्थ क्या होता है – सत्संग हेतु साधु या संत होना आवश्यक है क्या ?

सत्संग यानि सत का संग यानि मनुष्य जब बैठकर आपस में सत्य की विवेचना करे – सत्य पर पहुंचने की कोशिश करे | सत्संग यानि 2 से 6 लोग आपस में चिंतन/ मनन द्वारा सत्य के मार्ग पर चलते हुए तत्व या कहें छिपे हुए मर्म तक पहुंचने की कोशिश करें | कोई भी इंसान जिसकी अध्यात्म में रुचि है […]


सत्संग में नींद क्यों आती है ?

सत्संग में नींद आने का मूलभूत कारण एकतरफा प्रवचन है | जो बातें अधिवक्ता/ ज्ञानी पुरुष बोल रहा है उसमे कुछ पल्ले पड़ रही हैं, ज्यादातर नहीं | ऐसे में सोएंगे नहीं तो और क्या करेंगे ? एकतरफा सत्संग के कोई मायने नहीं | सत्संग में 2 से 6 व्यक्ति seriously आपस में विचार विमर्श करते हैं और सत्य पर […]


सत्संग सुनने से क्या लाभ होता है ?

सत्संग कभी सुना नहीं जाता – किया जाता है | जब 2 से 6 लोग जिनकी रुचि लगभग समान है आपस में बैठ कर सत्संग करते हैं तो विचारों का आदान प्रदान होता है | जिस topic पर चर्चा हो रही है उसके विभिन्न पहलुओं को टटोला जाता है और सत्य पर पहुंचने की कोशिश की जाती है क्योंकि सत्य […]


लाखों लोग सत्संग सुन रहे हैं फिर भी उनकी आंतरिक स्थिति नहीं बदली क्या वजह है ?

सत्संग वो नहीं जो लोग आजकल समझते और करते हैं | सत्संग हमेशा एकांत में 4 से 6 लोगों के बीच होता है | सत्संग यानि आध्यात्मिक विचारों का आदान प्रदान | अपने अंदर उमड़ते प्रश्नों का उत्तर ढूंढ़ना ही सत्संग है | सत्संग वो नहीं जहां हजारों लाखों की भीड़ और उत्तर देने वाला कोई नहीं | आजकल के […]


सत्संग क्यों जरूरी है ?

सत्संग सिर्फ उन्हीं के साथ किया जा सकता है जिनकी सत्य में रुचि हो अन्यथा सत्संग करने के कोई मायने नहीं | पहले समय में यह प्रथा गुरुकुलों में स्थापित थी जहां कुछ शिष्य एक ही विषय पर साथ बैठकर विचार विमर्श करते थे यानि सत्संग करते थे | सत्संग करने के पीछे अभिप्राय होता था छिपे मर्म तक पहुंचना […]


ब्रह्माण्ड प्रसारित हो रहा है – इसका कोई अंत नहीं है क्या ?

वर्तमान ब्रह्माण्ड तब तक प्रसारित होता रहेगा जब तक इसका अंत समय यानि प्रलय न आ जाए | ब्रह्माण्ड का फैलाव एक खगोलीय घटना है – यह होती है और अनंत काल तक होती रहेगी | जब तक ब्रह्माण्ड का विस्तार होता रहेगा यह अस्तित्व में रहेगा अन्यथा प्रलय के समय सिमट कर आधे अंगूठे (अस्थ अंगुष्ठ) के आकार में […]


इस मानव जीवन के लक्ष्य को कैसे पहचानूं और सांसारिक जीवन को सफल बनाऊं ?

अपने जीवन के लक्ष्य को पहचानने के लिए हमें सत्यमार्ग पर चलना होगा – और कोई चारा नहीं | जब हम सत्य की राह पर चलते हैं तो हृदय से आती आत्मा (यानी हृदय में स्थित सारथी कृष्ण) की आवाज़ को साफ सुन सकते हैं | यह हृदय से आती आवाज़ हमेशा सही guide करती है | 5 वर्ष की […]


वैदिक काल में स्त्रियों की शिक्षा के लिए गुरुकुल थे क्या ?

वैदिक काल में पुरुषों और स्त्रियों में कोई भेद नहीं किया जाता था | दोनों को खुल कर पढ़ने लिखने की आज़ादी थी | स्त्रियों को गुरुकुल जाकर पढ़ने लिखने की पूर्ण आज़ादी थी | अगर कोई स्त्री जीवन में पढ़ लिखकर आगे बढ़ना चाहती थी तो समाज की तरफ से कोई पाबंदी नहीं थी | स्त्रियां बिल्कुल स्वछंद वातावरण […]


ब्रह्मांड क्यों और कैसे बना – इसकी खोज करने वाला बाद में यह क्यों कहता है की यह मन और बुद्धि से परे है ?

ब्रह्माण्ड क्यों और कैसे बना – यह तथ्य सिर्फ और सिर्फ एक आध्यात्मिक साधक ही समझ सकता है | और अध्यात्म विज्ञान से परे है – अध्यात्म वहां से शुरू होता है जहां विज्ञान का अंत हो जाता है | तो विज्ञान कि नज़रों से ब्रह्माण्ड की शुरआत और अंत दोनों समझना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है |   ब्रह्माण्ड […]


इस सृष्टि और ब्रह्माण्ड के समाप्त होने पर क्या होगा ?

जब वर्तमान सृष्टि (ब्रह्माण्ड) का अंत होगा यानि प्रलय आ जाएगी तो पूरा ब्रह्माण्ड सिमट कर आधे अंगूठे (अस्थ अंगुष्ठ) के आकार में आ जाएगा | इसी आधे अंगूठे के आकार को विज्ञान singularity के नाम से पुकारता है जिसके द्वारा पूरा नया ब्रह्माण्ड उत्पन्न होता है | जब ब्रह्माण्ड सिमटता है तो जो कुछ भी स्थूल है वह हमेशा […]


ब्रह्माण्ड का कोई अंत है या नहीं ?

यह बात अब science ने confirm कर दी है कि वर्तमान ब्रह्माण्ड तीव्र गति से फैल रहा है (बड़ा होता जा रहा है) | और यह फैलाव जिस दिन रुक गया – यानी जिस दिन system की गुरुत्वाकर्षण शक्ति ब्रह्माण्ड की फैलावट की शक्ति से ज्यादा हो गई – पूरा ब्रह्माण्ड सिमटना शुरू हो जाएगा | यह इतनी तीव्र गति […]


ब्रह्मांड में सबसे पहला जीव कौन सा आया ?

ब्रह्माण्ड में कौन सा जीव पहले आया यह धरती पर रहने वालों को क्या मालूम ? हां – धरती पर सबसे पहला जीव अमीबा था (single cell formation – एक इन्द्रिय जीव) | जब धरती की उत्पत्ति हुई और उसके बाद जब वह जीवन धारण के लिए उपयुक्त हुई तो आत्माओं ने सबसे पहले अमीबा का शरीर धारण किया | […]


ईश्वर के अलावा इस ब्रह्माण्ड को बनाने में किसी का योगदान है क्या ?

इस ब्रह्माण्ड (सृष्टि) की रचना में सिर्फ और सिर्फ सृष्टि के निर्माता ब्रह्म का हाथ है | ख्याल करके देखें – प्रलय के समय जब पूरा ब्रह्माण्ड सिमट कर आधे अंगूठे (अस्थ अंगुष्ठ) के आकार में आ जाता है  तो उस समय ब्रह्म (भगवान) के अलावा और किसका अस्तित्व है – किसी का नहीं | इसी आधे अंगूठे के आकार […]


श्री कृष्ण के पश्चात किंतु कल्कि से पहले क्या भगवान ने कोई अवतार लिया है ?

महर्षि वेदव्यास ने महाभारत महाकाव्य की रचना इसलिए की कि वेदों, उपनिषदों का सार आम साधक तक पहुंच सके | उसी महाकाव्य के एक पात्र हैं भगवान कृष्ण जिनके माध्यम से महर्षि वेदव्यास ने भगवद गीता का ज्ञान पूरे संसार को दिया | भगवान कृष्ण द्वापर और कलियुग के संधिकाल में आए | हर युग के अंत में एक अवतार […]


समुद्र मंथन की घटना का आध्यात्मिक अर्थ क्या है ?

हर मनुष्य धरती पर पैदा हो तो जाता है लेकिन मुक्ति कब मिलेगी – मोक्ष कब होगा नहीं मालूम | अध्यात्म में आगे बढ़ते हुए धीरे धीरे मालूम चलता है यह मनुष्य शरीर हमारी अपनी आत्मा ने धारण किया है | आत्मा चाहती है उसे पुराना शुद्ध रूप जल्दी से जल्दी वापस मिल जाए | लेकिन कैसे ? आध्यात्मिक सफर […]


क्या अंतरात्मा की आवाज़ सचमुच सुनाई देती है ?

जब मैं 5 वर्ष का था तो मुझे सच बोलना और सुनना बहुत अच्छा लगता था | ब्रह्म से अनजाने में मुलाक़ात हो ही चुकी थी | बस तय कर लिया कुछ भी हो जाए सिर्फ और सिर्फ सच का सहारा लेकर आगे बढूंगा | इस कारण मुझे हृदय से आती अंतरात्मा की आवाज़ साफ सुनाई देने लगी | काफी […]


समुद्र मंथन किन किनके बीच हुआ था ?

समुद्र मंथन देवों और दैत्यों के बीच हुआ था | आध्यात्मिक दृष्टि में देव कौन होते हैं और असुर कौन ? हर मनुष्य के अंदर हर समय सकारात्मक और नकारात्मक विचारों के बीच मंथन होता रहता है | तो देव हुए सकारात्मक विचार और दैत्य नकारात्मक विचार | जब सकारात्मक और नकारात्मक विचार आपस में गुत्थम गुत्था होते हैं तो […]


समुद्र मंथन किस स्थान पर हुआ था ?

समुद्र मंथन एक आध्यात्मिक गाथा है जिसके द्वारा मनुष्य को यह समझाने की कोशिश की गई है कि जीवन में मोक्ष पाने के लिए कैसे positive विचारों में व्याप्त होना पड़ेगा | साथ साथ अखंड ब्रह्मचर्य का पालन कर अमृत को कुण्डलिनी में ऊर्ध्व करना होगा – तभी चक्र जागृत होंगे और सहस्त्रार खुलेगा |   हर मनुष्य हर समय […]


क्या अंतरात्मा कभी किसी काम को करने या ना करने का संकेत देती है ?

जब भी कोई इंसान गलत राह पर जाने की चेष्टा करता है तो अंतरात्मा चीख चीख कर हमें चेताने की पूरी कोशिश करती है लेकिन हम ही हैं जो इस आवाज को अनसुना कर देते हैं | अनसुना करने के पीछे एक वजह है – हमारी अपनी मैं (अहंकार) जो उस आवाज को हम तक पहुंचने ही नहीं देती | […]