Monthly Archives: April 2024


जन्म मरण क्या है ?

जन्म और मरण वह आध्यात्मिक क्रिया है जिसके द्वारा आत्मा धरती पर एक के बाद एक स्वरूप बदलती है | अपने जीवनकाल में आत्माएं 84 लाख योनियों के फेर से गुजरती हैं | सबसे पहला शरीर धारण करती है अमीबा का | जब इस जीव की आयु पूरी हो जाती है तो मृत्यु को प्राप्त होता है | फिर आत्मा […]


हम अहंकार के बिना क्यों नहीं रह सकते ?

मनुष्य शरीर आत्मा ने धारण किया है | खुद दृष्टा की भांति काम करती है और सारे काम करवाती है मनुष्य रूप से | कैसे ? सिर्फ मैं (अहंकार) के कारण | अगर अहंकार न हो तो हर मनुष्य बिल्कुल भी कर्म नहीं करेगा, अकर्मण्य होकर मुश्किल से 25 की आयु में ही चल बसेगा | जीवन पूरी तरह नीरस […]


क्या आत्मज्ञान ही सर्व श्रेष्ठ ज्ञान है ?

सभी धार्मिक/ आध्यात्मिक शास्त्रों का एक ही निचोड़ है – जल्दी से जल्दी आत्मज्ञान/ तत्वज्ञान प्राप्त कर मोक्ष ले लेना | आत्मज्ञान यानि आत्मा का ज्ञान | जिस दिन मनुष्य कर्मों की पूर्ण निर्जरा करके अपने असली वजूद को जान लेता है कि वह जन्म मृत्यु के चक्रव्यूह में फंसा जीव नहीं बल्कि एक अजर अमर आत्मा है तो खेल […]


आत्मज्ञानी और ब्रह्मज्ञानी में क्या फर्क है ?

आत्मा चूंकि ब्रह्म का ही एक सूक्ष्म अंश है – आत्मज्ञान और ब्रह्मज्ञान एक ही बात को दर्शातें हैं | जब प्रलय होती है तो पूरे ब्रह्माण्ड में क्या बचता है – सिर्फ और सिर्फ सारी आत्माएं अपने पूर्ण शुद्ध रूप में | इन्हीं शुद्ध आत्माओं के गुच्छे को, जिसका आकार सिर्फ अस्थ अंगुष्ठ (आधे अंगूठे के बराबर) होता है […]


भगवद गीता में कृष्ण कहते हैं कर्म करो फल की चिंता मत करो लेकिन बिना फल आदमी कर्म क्यों करेगा ?

रोज़मर्रा की ज़िंदगी में बिना फल की इच्छा के कोई काम नहीं करता | लेकिन अध्यात्म में जब तक हम निष्काम कर्मयोग में नहीं उतरेंगे, कर्मों की निर्जरा नहीं होगी और आध्यात्मिक प्रगति शून्य रहेगी | अध्यात्म में हमें कर्मबंधन से बचना है – वह संभव होता है जब हम कर्म निष्काम भावना से करें |   अध्यात्म में फल […]


अपनी मानसिक क्षमता बढ़ाने के लिए क्या करना चाहिए ?

मानसिक (mental) क्षमता बढ़ाने के दो तरीके हैं – फिजिकल ब्रह्मचर्य और मानसिक ब्रह्मचर्य | Physical ब्रह्मचर्य द्वारा हम अपने मूलाधार में इकट्ठी होती दिव्य सेक्सुअल ऊर्जा को कुण्डलिनी की ओर प्रेषित करते हैं | ऐसा करने से हमारे मस्तिष्क के बंद पड़े हिस्से में हरकत होने लगती है – वह खुलने लगता है | फिजिकल ब्रह्मचर्य से मानसिक क्षमता […]


क्या भगवान का शुकराना करते हैं दिन में कई बार क्या उसके फायदे हैं ?

यह मनुष्य शरीर आत्मा ने धारण किया है और आत्मा भगवान (ब्रह्म) का अंश है तो ब्रह्म के प्रति कृतज्ञता तो होनी चाहिए | ऐसा करने से विचारों की शुद्धता बरकरार रहती है | भगवान के प्रति अगर कृतज्ञता का भाव हमेशा बना रहता है तो संभव है किसी दिन उसकी खास कृपा हो जाए और हमारे पुण्य प्रारब्ध कर्म […]


क्या भगवान की पूजा पाठ करना आध्यात्मिकता है आध्यात्मिक व्यक्ति कैसे होते हैं ?

भगवान के लिए पूजा इत्यादि में लगे रहना धर्म का पर्यायवाची बन गया है | जो धार्मिक है उसे (religious) कर्मकांडी कहने लगे हैं | लेकिन धार्मिक लोगों का ब्रह्म से दूर दूर का नाता नहीं – क्योंकि आज के समय में पूजापाठ, कर्मकांडो में लगे लोग भगवान के जरा भी नजदीक नहीं | ब्रह्म ब्राह्म वस्तुओं में नहीं – […]


मानव के पास दोनों शक्तियों शारीरिक तथा मानसिक में कौन सी श्रेष्ठ हैं ?

जब एक साधक योगासन द्वारा अपने शरीर को स्वस्थ, हृष्ट पुष्ट रखता है तो उसे शारीरिक शक्ति में नहीं गिना जाता | शारीरिक शक्ति तो हमेशा professional के पास होती है – जैसे swimming करने वाला अपनी शारीरिक शक्ति को swimming की तरफ मोड़ देता है | पहलवान पहलवानी की ओर और बॉक्सर बॉक्सिंग की ओर |   मानसिक शक्ति […]


गुरु होना जरूरी है या नहीं बिना गुरु दान पुण्य कर सकते हैं ?

जीवन में जिस किसी से भी थोड़ा बहुत सीखने को मिले तो उस पल में वो हमारा गुरु है | लेकिन अध्यात्म की राह में permanent गुरु उसे ही बनाना चाहिए जो तत्वज्ञानी हो | धरती पर आखिरी तत्वज्ञानी थे महर्षि रमण जो 1950 में शरीर त्याग गए | अध्यात्म में जिसने गुरु बना लिया वह permanent फेल है – […]


किसी भी गुरु की शरण में मुक्ति संभव है या नहीं ?

अगर महावीर, बुद्ध, आदि शंकराचार्य, रामकृष्ण परमहंस या महर्षि रमण जैसा तत्वज्ञानी पुरुष आपका गुरु बनने को तैयार हो तो हम गुरु बना सकते हैं अन्यथा नहीं | अध्यात्म में गुरु की आवश्यकता नहीं – न ही महावीर, बुद्ध, आदि शंकराचार्य, रामकृष्ण परमहंस या महर्षि रमण का कोई गुरु रहा या था |   मुक्ति मिलती है जब हम 12 […]


अर्जुन के गुरु कौन थे ?

अर्जुन महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित महाकाव्य महाभारत के एक पात्र हैं | अर्जुन के गुरु अर्जुन के हृदय में स्थित सारथी कृष्ण हैं (हमारी अपनी आत्मा) – जो हर समय हमें सही राह पर चलने की प्रेरणा देते रहते हैं | अगर कोई साधक इस गूढ़ तथ्य को जल्दी समझ ले तो आध्यात्मिक सफर आसान हो जाएगा |   मैं […]


क्या सच्चा गुरु मिलना मुश्किल है ?

सच्चा गुरु कौन – जिसे तत्वज्ञान प्राप्त हो गया हो जैसे महर्षि रमण | महर्षि रमण को गुजरे 74 साल हो गए – दूसरा महर्षि रमण क्यों नहीं आया ? महावीर कहते थे – जब तक कैवल्य ज्ञान ने हो जाए, देशना (discourse) मत देना | अधकचरा ज्ञान जो आजकाल के गुरु बांट रहे हैं उसे लेकर क्या करोगे ? […]


क्या भारतीय शिक्षा प्रणाली को बदल गुरुकुल शिक्षा पद्धति अपनानी चाहिए ?

भारतीय शिक्षा प्रणाली को बदलने का कार्य Narendra Modi government ने शुरू कर दिया है – बदलते बदलते समय लगेगा | जैसे ही आने वाले वर्ल्ड वार 3 के बाद कल्कि अवतार का आगमन होगा, गुरुकुल शिक्षा प्रणाली पूरी तरह अमल में आ चुकी होगी | गुरु शिष्य परंपरा का लौटना बेहद आवश्यक है |   2034 तक गुरुकुल शिक्षा […]


भाग्य क्या होता है कैसे बनता है क्या भाग्य को बनाने में सिर्फ कर्म का योगदान होता है ?

अब तक हमारी आत्मा ने जितने भी शरीर धारण किए उसका मृत्यु के समय जो karmic balance है, वह तय करता है हमारा अगला जीवन कहां और कैसे गुजरेगा | जैसे हमारे कर्म वैसा भाग्य हमें मिलेगा | हम नींबू के पेड़ पर आम की फसल की उम्मीद नहीं कर सकते | जो बोया वही काटेंगे | भाग्य एक ही […]


धर्म बनाने वाला इंसान लोगों को मारने वाला इंसान फिर धर्म की क्या जरूरत ?

धर्म वह नहीं जो लोग आजकल समझते हैं | आजकल लोग धर्म को ही religion (मत) का ही पर्यायवाची मानने लगे हैं | यह पूर्णतया गलत है | धर्म तो शास्वत है, जब से ब्रह्मांड बना है तब से मौजूद है | धर्म की परिभाषा, स्वयं ब्रह्म द्वारा दी हुई – your right to do what is just and right, […]


मंदिर में देवता या देवी की मूर्ति में पंडित जी प्राण प्रतिष्ठा करते हैं तो क्या मूर्ति में जान आ जाती है ?

जब भी किसी मंदिर में मूर्ति स्थापित कर प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव किया जाता है उससे उस मूर्ति में भगवान नहीं आ जाते – हां, मनुष्यों का भगवान में विश्वास दोगुना चौगुना हो जाता है | उससे ज्यादा खुद में विश्वास बेहद बढ़ जाता है | यही नहीं सामंजस्य की भावना जो हर किसी के हृदय में घर कर जाती है […]


कोई आदमी गलत काम करता है और भगवान को भी मानता है तो क्या होगा ?

भगवान की बनाई हुई सृष्टि है | जब तक हम मनुष्य हैं – दोनों अच्छे और बुरे कर्मों में लिप्त रहेंगे | यही भगवान/ सृष्टि का नियम है | जिस दिन इंसान अध्यात्म में उतर महर्षि रमण बन जाता है उसे बुरे कर्मों में लिप्त होने की आवश्यकता ही नहीं रहती | कर्मों की पूर्ण निर्जरा कर वह स्वयं मानव […]


भगवान श्री कृष्ण में कैसे खोयें ?

भगवान श्रीकृष्ण में खोया नहीं जाता, उन्हें प्राप्त किया जाता है | अध्यात्म में जब हम ध्यान/ चिंतन में उतरते हैं तो हमें पहली बार अहसास होता है अर्जुन और कोई नहीं हम खुद हैं | सत्य के मार्ग पर चलकर अगर हम ध्यान से सुने तो हमे हृदय से आती कृष्ण (सारथी) की आवाज़ साफ सुनाई पड़ेगी |   […]


सबका मालिक एक प्रभु कौन है ?

सबके मालिक प्रभु को भारतीय शास्त्रों में ब्रह्म कहा गया है (ब्रह्मा नहीं), वही ब्रह्म जिसने पूरा ब्रह्माण्ड बनाया | हम (एक आत्मा) ब्रह्म के ही अंश हैं और यह बात हम 84 लाखवी योनि में पहुंचकर ही समझ सकते हैं | ब्रह्म तक पहुंचने के लिए ब्रह्म ने 11 लाख मनुष्य योनियां स्थापित की हैं | अध्यात्म की राह […]


अगर किसी की भलाई के लिए ईश्वर से कुछ मांगा जाए तो क्या ये हमारे पुण्य से कटेगा ?

जब हम किसी और की भलाई के लिए भगवान से कुछ मांगते हैं तो कुछ अंश अपने पुण्य कर्मफल से ब्रह्म को समर्पित करना ही होता है लेकिन अध्यात्म की सबसे बड़ी विशेषता यह है – जब हम औरों का भला सोचते हैं तो हमें ब्रह्म से गुप्त अनुदान के रूप में बहुत कुछ मिलता रहता है | जब भी […]


पढ़ाई के लिए किस भगवान की पूजा करनी चाहिए ?

जब हम पढ़ाई करने बैंठे तो भगवान से निम्न प्रार्थना करनी चाहिए, हे प्रभु, मैं इस ‘subject‘ में थोड़ा कमजोर हूं, कृपा करें कि मैं अपनी समस्त शारीरिक और मानसिक ऊर्जा को ‘subject‘ को समझने में लगा सकूं | मुझे अर्जुन की तरह मछली कि आंख नहीं, बस आंख का केंद्र बिंदु नजर आए | जो एक बार एकाग्रता के […]


एक तत्वज्ञानी इस दुनिया को किस नजरिए से देखता है ?

एक तत्वज्ञानी की नजरों में पूरी दुनिया अज्ञानी है – अज्ञान की राह पर चलने वाली | चाहे कोई 10 लाख करोड़ की company का मालिक हो चाहे कोई गरीब, दोनों ही मृत्यु के बाद अगले जीवन में फिर से nursery से जीवन की शुरुआत करेंगे | इस जीवन के कमाए 10 लाख करोड़ गए पानी में |   अध्यात्म […]


महारथी अर्जुन और कोई नहीं बल्कि भगवान का ही अवतार था ?

महर्षि वेदव्यास के महाकाव्य महाभारत का अर्जुन और कोई नहीं बल्कि आप और हम हैं – एक आम इंसान | आध्यात्मिक सफर कैसे पूरा किया जाए – भगवद गीता हमें इतना ही बताती/ सीखाती है |   भगवद गीता उवाच के माध्यम से महर्षि वेदव्यास यह बताते हैं कि सारथी के रूप में हृदय में विद्यमान कृष्ण और कोई नहीं […]


जो इंसान बार बार जिंदगी में असफल होता है उसे क्या करना चाहिए ?

जो इंसान बार बार कोशिश के बावजूद जीवन में सफलता नहीं प्राप्त कर पा रहा, उसे चींटियों के झुंड को देखना चाहिए जो ऊपर की तरफ चढ़ रही हों | कुछ चींटियों को अपने वजन से कहीं ज्यादा वजन को ढोते हुए देखेंगे | सभी चींटियां एक ही बार में मंजिल तक नहीं पहुंचती | कुछ को बार बार मेहनत […]


ज्ञानी जन खुद के सर पर मुसीबत आ जाने पर क्या करते हैं ?

ज्ञानीजन कोई राह न मिले तो मुसीबत से खुद ही निबटने की कोशिश करते हैं और असफल हो जाएं तो दुनियां को राम राम | स्वामी विवेकानंद अपने 1893 के US Chicago tour में विश्व धर्म संसद में बहुत उम्मीदें लेकर गए थे लेकिन लौटे खाली हाथ | लौटने के बाद स्वामी विवेकानंद उस झटके को सह न सके और […]


क्या शरीर की अवहेलना कर के आत्मा को संवारा जा सकता है?

योगासन का शाब्दिक अर्थ क्या हुआ – ब्रह्म से योग (जुड़ने) के लिए आसन की आवश्यकता होती है | जब तक शरीर योगासन के द्वारा हृष्ट पुष्ट नहीं होगा, हम अध्यात्म में उतर ही नहीं पाएंगे | बीमार शरीर वैद्य हकीम की सोचेगा या अध्यात्म की ? इस जीवन में अगर हम आत्मज्ञानी बनना चाहते हैं तो, शरीर को स्वस्थ […]


जीवन को इसका अर्थ और उद्देश्य क्या देता है ?

मनुष्य रूप में आध्यात्मिक सफर में सारी प्रेरणा अंदर से आती है | हृदय में स्थित सारथी (कृष्ण) हर पल हमें अंदर से guide करते रहते हैं | हमारी आत्मा बताती है कि यह शरीर उसने अपनी शुद्धि के लिए लिया है और मनुष्य की जिम्मेदारी बनती है कि वह अपनी आत्मा को assist करे जिससे वह जल्दी से जल्दी […]


जीवन भोग विलास नहीं बल्कि सच्चे कर्मयोगी के लिए संघर्ष ही जीवन है ?

महाभारत महाकाव्य के रचयिता महर्षि वेदव्यास कहते हैं – हृदय में स्थित सारथी कृष्ण (हमारी अपनी आत्मा) हर समय अंदर से एक ही बात कहते हैं – हे अर्जुन, अब देरी न कर, शस्त्र उठा और धर्मयुद्ध शुरू कर | तो महर्षि वेदव्यास अनुसार धरती पर मौजूद हर इंसान अर्जुन है और उसका परम कर्तव्य है कर्मयोगी बनकर कर्मों की […]


संतो की ज्ञान भरी बातें कहाँ मिलेगी ?

संतों की वाणी या तो उनकी खुद की लिखी पुस्तकों में मिल जाएंगी या उन पर लिखी पुस्तकों में | महर्षि रमण ने हिंदी या संस्कृति में नहीं लिखा | तो अनुवादक के द्वारा त्रुटि की गुंजाइश तो है | अपने विवेक का इस्तेमाल कर हमें सत्य को असत्य से अलग करना होगा, तभी हम तथ्य तक पहुंच पाएंगे | […]